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________________ ४४८ ] [ पद भजन गीत आदि नाम कर्ना भाषा भूदरदास मारिणकचन्द एकीभावस्तोत्र वचनाभि चक्रवति की भावना पदसंग्रह तेरहमपचीसो हंडावसपिणीकालदोष चौबीस दंडक दशवोलपच्चीसी दौलतराम धानतराय ४२८७. पावजिनगीत-छाजू ( समयसुन्दर के शिष्य )। पत्र सं० १ । प्रा. १.४.५ इञ्च । मापा-हिन्दी | विषय-गीत । २० काल X । से• काल X । पूर्गा | बे० सं० १८५८ | अ भण्डार । ४२८८. पारनाथ की निशानी-जिनहर्ष 1 पत्र सं० ३१ मा १०x४ च । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तवन ! २० काल X । ले. काल X । पूर्ण । वे गं० २२४७ । श्र भण्डार । विकंप- है.. प्रारम्भ सुख संपत्ति-दायक सूरनर नायकः परतिख पास जिगांदा है। जाकी छवि कांति अनोपम प्रोपम दिपति जागा दिदा है। मन्तिम तिहां मिधादावास तिहां रे वासा दे सवक विलवंदा है। घघर निसागणी पास वखागी गुगा जिनहर्ष गावंदा है।। प्रारम्भ के पत्र पर क्रोध, मान, माया, लोभ की सज्झाय दी हैं। १५८६. प्रति सं० । पत्र सं० २ । ले. काल सं० १५२२ 1 वै० सं० २१३३ । श्र भण्डार । ४२६०. पार्श्वनाथचौपई-६० लाखो । पत्र सं० १७ । मा० १२६४५३ इच । भाषा-हिन्दी 1. विषय- स्तधन । र० काल सं० १७३४ कात्तिक सुदी । ले. काल सं० १७९३ ज्येष्ठ बुदी २१ पूर्ण । ० सं० १९१८ | ₹ भण्डार। विशेष-ग्रन्थ प्रशस्ति संवत् सतरासै चौतीस, कात्तिक शुक्ल पक्ष शुभ दीस । नौरंग तप दिल्ली मुलितान, सर्व नृपसि वह षिरि भाग्य ॥२६॥ नागर चाल देश सुभ ठाम, नगर बग्ग्रहदो उनम धाम । सब श्रावक पूजा जिनधर्म, कर भक्ति पाय बहु शर्म ॥२६७।।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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