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________________ * गुटका-संग्रह ] ८. स्तुति (आगम प्रभु को जब भयो) ६. बारहमासा १०. पद व भजन ११. पार्श्वमाथपूजा १२. ग्राम नींबू का झगड़ा १३. पद-कां समुद विजयसुत सार १४. पुरुषों की स्तुति १५. दर्शनपाठ १६. विनती ( त्रिभुवन गुरु स्वामीजी ) १७. लक्ष्मीस्तोत्र १०. पद- मेरा मन बस कीना जिनराज १९. मेरा मन बस कीनो महावीरा २०. पद - (नेना सफल भयो प्रभु दय करुपात २१. चलो जिनन्द वंदस्या X २२. पद - प्रभुजी तुम में चरण शरण गह्मो २३. ग्रामेर के राजाओं के नाम X " X X हर्षकोति X X भूधरदास X भूधरदास पद्मप्रभदेव X कीर्ति X X X २४. $1 २५. विनती - बोल २ मूलो रे भाई २६. पद - चेतन मानि ले बात ▾ २७. मेरा मन बस कीनो जिनराज X २८. विनती-बंदू श्री श्रहन्तदेव हरिसिंह २९. पद - सेवक हूं महाराज तुम्हारो दुलीचन्द ३०. मन घरी वे होत उद्यावा X ३१. धरम का ढोल बजाये सूती X ३२. अब मोहि तारोजी जगदगुरु मनसाराम ३३. लागो दौर लागो दौर प्रभुजी का ध्यानमें मन । पूरणदेव ३४. श्रासरा जिनराज तेरा X नेमिचन्द्र X हिन्दी 33 संस्कृत हिन्दी संस्कृत हिन्दी 93 99 19 rt , " 93 " " ?? 7 23 11 33 "" 33 13 77 59 " 33 [ ६६३ ३४-३६ ३७-३६ ४०-४७ ४८-४६ ५०-५१ ५.२-५७ ५८-५६ ६०-६३ ६४-६६ ६७-६८ دو ७१ ७२ ७२-७३ Y ७५ ७६ ७८-७९ ७६ ५० ८१-८२ ८२-६४ ८४-८६ ८७ ५८ ८८ ८५
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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