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________________ ★ गुरुका-संग्रह 7 का संग्रह है । ५५४२. गुदका सं० १६० । पत्र सं० ६५ ० ३X६ इञ्च । भाषा-संस्कृत हिन्दी । पूर्ण विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ५५४३ गुटका सं० २६१ । एव सं० २६ । ० ५x५ इञ् । भाषा हिन्दी संस्कृत | ले० काल १७३७ पूर्ण सामान्य पाठ हैं । ५५४४. गुटका सं० १६२ | पत्र सं० ११ | ० ६४७ इव । भाषा - संस्कृत । अनु । पूजाम्रो. ५५४५, गुटका सं० १६३ । पत्र सं० २१ । प्रा० ५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विशेष-भकामर स्तोत्र एवं दर्शन पाठ भादि है । ५५४६. गुटका सं० १६४ । पत्र सं० १०० | था० ४३ | भाषा - हिन्दी | ले० काल १९३४ पूर्ण | विशेष- पद्मपुराण में से गीता महात्म्य लिया हुआ है । प्रारम्भ के ७ पत्रों में संस्कृत में भगवत गीद्धा माला दी हुई है। ५५४७. गुटका सं० १६५ | पत्र सं० २० | आ०६३४३ इश्व | विषय - आयुर्वेद अपूर्ण दशा जीर्णे 1 विशेष- आयुर्वेद के नुमखे हैं । ५५४५ गुटका सं० १६६ | पत्र सं०६८ | ० ४ X २३ इश्व | भाषा - हिन्दी । पूर्ण | दशा - सामान्य | हिन्दी १. आयुर्वेदिक नुस २. कर्म प्रकृतिविधान X बनारसीदास [ ६७७ " ५५४६. गुटका सं० १६७ । पत्र सं० १४८ - २४७ 1 प्रा० २x२ इश्व | अपूर्ण | ५५५०. गुटका सं० १६८ । पत्र सं० ४०० ६६६ । पूर्ण । हिन्दी ५५५१. गुटका सं० १६६ पत्र सं० २२ । भा० ९x९ इख । भाषा - हिन्दी । ले० काल १७८० श्रावण सुदी २ । पूर्ण । दशा - सामान्य । १. धर्मरासी अथ धर्म रासो लिख्यते - पहली बंदों जिएयर राइ, तिहि वंद्या दुख दालिद्र जाइ । रोग कऐस न संचरे, पाग करम सब जाइ पुलाई ॥ निश्चे मुक्ति पद संचरं ताको जिन धर्म होई सहाई ।। १ ।। १-४० ४१-६८ १-१८
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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