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________________ --३-- कवि राजस्थानी विद्वान थे तथा वणहटका ग्राम के रहने वाले थे । उस समय मुगल बादशाह औरंगजेब का शासन था । पार्श्वनाथ चौपई में २६८ पद्य हैं जो सभी चौपई में हैं । रचना सरस भाषा में निबद्ध है। १५ पिंगल छन्द शास्त्र . छन्द शास्त्र पर माखन कवि द्वारा लिखी हुई यह यहुत सुन्दर रचना है । रचना का दूसरा नाम माखन छंद विलास भी है । माखन कवि के पिता जिनका नाम गोपाल था स्वयं भी कवि थे । रचना में दोमा गौगोला, :, कोरला, मदनमोहन, हरिमालिका संखधारी, मालती, डिल्ल, करहुंचा समानिका, मुजंगप्रयात, मंजुभाषिणी, सारंगिका, तरंगिका, भ्रमरावलि, मालिनी अादि कितने ही छन्दों के लक्षण दिये हुये हैं। माखन कवि ने इसे संवत् १८६३ में समाप्त किया था। इसकी एक अपूर्ण प्रति 'अ' भण्डार के संग्रह में है। इसका आदि भाग सूची के ३१० पृष्ठ पर दिया हुआ है। २६ पुण्यास्रवकथा कोश देकचन्द १८ वीं शताब्दी के प्रमुख हिन्दी कवि हो गये हैं । अबतक इनकी २० से भी अधिक रचनायें प्राप्त हो चुकी हैं । जिन में से कुछ के नाम निम्न प्रकार हैं: पंचपरमेष्ठी पूजा, कर्मदहन पूजा, तीनलोक पूजा (सं० १८२८) सुदृष्टि तरंगिणी (सं० १८३८ ) सोलहकारण पूजा, व्यसनराज वर्णन (सं० १८२७ ) पञ्चकल्याण पूजा, पञ्चमेरु, पूजा, दशाध्याय सूत्र गय टीका, अध्यात्म बारहखडी, आदि । इनके पद भी मिलते हैं जो अध्यात्म रस से ओतप्रोत है। टेकचंद के पितामह का नाम दीपचंद एवं पिता का नाम रामकृष्ण था। दीपचंद स्वयं भी श्रच्छे विद्वान थे । कवि खण्डेलवाल जैन थे । ये मूलतः जयपुर निवासी थे लेकिन फिर साहिपुरामें आकर रहने लगे थे । पुण्यास्रवकथाकोश इनकी एक और रचना है जो अभी जयपुर के 'क' भण्डार में प्राप्त हुई है । कवि ने इस रचना में जो अपनापरिचय दिया है वह निम्न प्रकार है:-- दीपचन्द साधर्मी भए, ते जिनधर्म विर्ष रत थए । तिन से पुरस तणु संगपाय, कर्म जोग्य नहीं धर्म सुहाय ।। ३२ ॥ दीपचन्द तन से तन भयो, ताको नाम हली हरि दीयो । रामकृष्ण ते जो तन थाय, हठीचंद ता नाम धराय ॥ ३३ ॥ सो फिरि कर्म उदै ते पाय, साहिपुर थिति कीनी जाय । तहां भी बहुत काल विन ज्ञान, खोयो मोह उदै तै पानि ।। x
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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