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________________ [ मुटका-संग्रह ५७६ । ८२. क्रियाकलाप ८३. संभवनाथपट्टी अपभ्रश ५४. स्तोत्र नम्मो चन्द्रदेव प्राकृत ५. स्त्रीशृङ्गारवर्णन संस्कृत ३३६-३४१ ३४२-३४३ ३४४ X ५६. चतुरितिस्तोत्र माघनन्दि ८७, पश्शनमस्कारस्तोत्र समास्वामि ८८. मृत्युमहोत्सव ९, अनन्तगंठीवर्णन (मन्त्र सहित) १०. आयुर्वेद के नुसखे ११. पाठसंग्रह १२. प्रायुर्वेद नुसखा संग्रह एवं मंत्रादि संग्रह x X ३४६-३४० X ३४६ X ३५०-३५४ . संस्कृत हिन्दी योगशत वैद्यक से संगृहीत ३५७-३८.७ ६३. अन्य पाठ ३००-४०७ इनके अतिरिक्त निम्नपाठ इस गुटके में और हैं। १. कल्याण बडा २. मुनिश्वरोंकी जयमाल (ब्रह्म जिनदास) ३. दशप्रकार विप्र (मत्स्यपुराणेषु कयिते) ४. सूतकनिधि (यवास्तिलक चम्पू से) ५. गृहबिबलक्षण इ. दोपावतारमन्त्र ५३६८. गुटका सं०१८ । पत्र सं० ५५ । आoux५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १८०४ श्रावण दुदी १२ : पूर्ण | दशा-सामान्य । १. जिनराज महिमास्तोत्र हिन्दी २. सतसई बिहारीलाल , ले० काल १७७४ फागुरा बुदी ११-४० ३. रसकोतुक रास सभा रञ्जन गङ्गादास , , १८०४ सावरण बुदी १२ ४६-५५ X दोहा अथ रस कौतुक लिख्यते-- गंगाधर सेवह सदा, गाहक रसिक प्रवीन । राज सभा रंजन कहत, मन हुलास रस लीन ॥१॥ दंपति रति नरोग तन, विधा सुधन सुमेह । लो दिन जाय मनंद सौ, जीतव को फल ऐह ॥२॥
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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