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________________ ६०४ [ गुटका संग्रह ५४२० गुटका सं० ४०-पत्र सं० १०३ । प्रा० ८१x६ इश्व । भाषा-हिन्दी । ले० सं० १८०० पूर्ण । सामान्य शुद्ध । विशेष-पूजाओं का संग्रह तथा पृष्ठ ८० से नरक स्वर्ग एवं पृथ्वी ग्रादि का परिचय दिया हुवा है। ५४२१ गुटका सं०४१-पत्र संख्या-२५७ । घा०-rxern इन। लेखन काल-संवत् १०७५ माह बुदी ७ । पूर्ण । दशा उत्तम । १. समयसारनाटक बनारसीदास हिन्दी रच गं. १६९३ यासी.सु. १३ १-५१ हिन्दी संस्कृत प्राकृत सुभाषित ५२-१११ २. मारिएक्यमाला संग्रह कर्ता ब्रह्म ज्ञानसागर नथप्रश्नोत्तरी ३. देवागमस्तोत्र प्राचार्य समत्तम मस्कृत लिपि संवत् १८६६ कृपारामसौगाणी ने करीली राजा के पठनार्थ हाडौती गांव में प्रति लिपि बी । पृष्ठ -१११ से ११५ । ४. मनादिनिधनस्तोत्र लिपि सं. १८६९११५-११६ ५. परमानंदस्तोत्र संस्कृत ६. सामायिकपाठ अमितगति ७. पंडितमरण ८, चौवीसतीर्थङ्करभक्ति ११६-२० लेखन सं० १९७० साख सुदी ३ ९. तेरह काठिया बनारसीदास हिन्दी १०. दर्शमपाठ संस्कृत १२३ ११. पंषमंगल रूपचंद हिन्दी १२३-१२८ १२. कल्याणमंदिर भाषा बनारसीदास १२८-३० १२०-३२ १३. विषापहारस्तोत्र भाषा प्रचलकीति रचना काल १७१५। हिन्दी १३२-३५ १४. भक्तामर स्तोत्र भाषा १५. वचनाभि चक्रवत्ति की भावना हेमराज भूधरदास
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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