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________________ ६८० ] [ गुटका-संग्रह ५५६५, गुटका सं १८३ । पत्र सं० २० । प्रा० १०४६ इंच | भाषा-संस्कृत हिन्दी । यपूर्ण। दशा-जीर्ण शीर्ण। विशेष-प्रथम ५ पत्रों पर पृच्छायें हैं । तथा पत्र १०-२० तक शकुनशास्त्र है। हिन्दी गद्य में है। ५५६६. गुटका सं० १८४१ पत्र सं० २४ मा. ६:४६ इंच । भाषा-हिन्दी । अपूर्ण । विशेष-घृन्द विनोद सतसई के प्रथम पद्य से २५० पद्य तक है। ५५६७. गुटका सं० १८५ । पत्र सं० ७-८८ । मा० १०४५३ इस । भाषा-हिन्दी । ले. काल . १८२३ वैशाख सुदी ८ । विशेष--बीकानेर में प्रतिलिपि की गई थी। १. समयसारनाटक बनारसीदास हिन्दी २. अनाथोसाघ पौवालिया विमल विनयगणि , ७३ पद्य है ७६-७८ ३. मध्ययन गीत हिन्दी ७-८३ दस अध्याय में अलग अलग गीत हैं। अन्त में चूलिका मीत है। ४. स्फुट पद ____x हिन्दी ८४-८ ५५६८. गुटका सं० १८६ । पत्र सं• ५२ । प्रा. Ex५ इंच भाषा-हिन्दी । विषय पद संग्रह । विपोष-१४२ पदों का संग्रह है मुख्यतः द्यातनराय के पद हैं। ५५६६, गुटका सं० १८७ । पत्र सं० ७७ । पूर्ण । विशेष-गुटके के मुख्य पाठ निम्न प्रकार हैं। x x x x x १. चौरासी गोत २. कछवाहा वंश के राजाओं के नाम २-४ ३. देहली राजाओं की वंशावली ४. देहली के बावशाहों के परगनों के नाम १७-१८ ५. सीख सत्तरी १६-२० ६. ३६ कारखानों के नाम ७. चौबीस ठाणा चर्चा २२-४५ ५५७०. गुटका सं० १८८ । पत्र सं० ११-७३ । प्रा० ६x४३ च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विशेष-गुटके में भक्तामरस्तोत्र कलामन्दिरस्तोत्र है। x x
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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