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________________ गुटका संग्रह १. पार्श्वनाथस्तवन एवं ग्रन्थ स्तवन इतिहास । यतिसार के जग हिन्दी आगे पत्र जुड़े हुए हैं एवं विकृत लिपि में लिखे हुये हैं । ५५७१- गुडका सं० १६ पत्र सं० ६-७८ । प्रा० ५३४४ इ । भाषा - हिन्दी गद्य विषय १८६७ । १८००। १. कवित्त २. भयहरस्तोत्र विशेष -- कदर बादशाह एवं वीरबल आदि की वार्ताएं हैं। बीच बोध के एवं आदि अन्त भाग नहीं हैं । ५५७२. गुटका सं० १६० । पत्र सं० १७ | आ० ४X३ इव । भाषा - हिन्दी | विशेष – रूपचन्द कृत पचमंगल पाठ है। ३. शांतिकरस्तोत्र ४. नमिकरणस्तोत्र ५. अजितशांतिस्तवन ६. भक्तामर स्तोत्र ७. कल्याणमंदिरस्तोत्र ८. शांतिपाठ ५५७३. गुटका सं० १६१ । पत्र सं० २० । ० ८३६ इंच भाषः - हिन्दी | विशेष – सुन्दरदास कृत सवैथे एवं अन्य पद्य है । अनू है । ५५७५. गुटका सं० १६२ । पत्र सं० ४५ श्र० ८३९६ इव । भाषा - प्राकृत संस्कृत ) ले० काल X X विद्यासिद्धि X नन्दिषेण पूर्ण दशा-मान्य कोकसार है। मानतु गाचार्य X हिन्दी प्राकृत X ७-१ १-१२ १३-२२ संस्कृत २३-३० संस्कृत ३१-३२ हिन्दी गद्य टीकासहित है । प्राकृत ४०-४५ ५४७५. गुटका सं० १६३ । पत्र सं० १७ ३२ । प्र० ८३४५६ | भाषा-संस्कृत | ले० काल [ ६८१ हिन्दी गद्य टीका सहित है । " २० सं० १५०० " " १-४ ५-६ ५५७७, गुटका सं० १६५ | पत्र सं० ७ | मा० ९६ इंच भाषा-संस्कृत । विशेष- भट्टारक महीचन्द्रकृत त्रिलोकस्तोत्र है । ४६ पद्य हैं । विशेष तत्वार्थ सूत्र एवं भक्तामर स्तोत्र है । ५५७६. गुटका सं ० १६४ । पत्र सं० १३ । ० ६४६ इंच भाषा - हिन्दी | विषय - कामशास्त्र | "
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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