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________________ [ स्तोत्र साहित्य ३६४८. नेमिस्तवन--ऋषि शिव । पत्र मं० २। प्रा० १०x४च । भाषा-हिन्दी । विषयम्तवन । १० कातx . काल । पूर्ण | वे० सं० १२०८ श्र भण्डार । विशेष-बीस तोषं डर स्तवन भी है । ३४. नेमिस्तवन-जितसागरगरणी । पत्र सं. १ । प्रा. १०४४ । भाषा-हिन्दी । विषय - म्तोत्र । र काल ४ । ले. काल X1 पूर्ण । वे० सं० १२१५ । श्र भण्डार | विशेष-दूसरा नेमिस्तवन प्रौर है । ३६५०. पत्र कल्याणकपाठ-हरचंद ! पत्र सं०१ । भाषा-हिन्दी। विषय-रतवन । र काल .. १८३३ ज्येष्ठ सुदा ७ । लेक काल x ! पूर्ण । वे० सं० २३८ । छ भण्डार । विशेष प्रादि अन्त भाग निम्न है प्रारम्भ अन्तिम-धन छंद कल्यान नायक नमी, कल्प कुरुह कुलकंद । कल्मष दुर कल्यान कर, बुधि कुल कमल दिनंद ।।१।। मंगल नायक वैदिक, मंगल पंच प्रकार | बर मंगल मुझ दीजिये, मंगल बरनन सार ।।२।। यह मंगल माला सब जनविधि है, सिव साला मल में धरनी। बाला बध तरुन सब जग को, सुख समूह की है भरनी॥ मन वय तन श्रधान करे गुन, तिनके चहुंगति दुख हरनी ॥ नाते भविजन पति कठि जगते, पंचम गति वामा वरनी ।।११।। व्योम अंगुल न नापिये, गनिये मघवा धार । उडमन मित भू पैडन्यौ, त्यो गुन बरने सार ।।११७।। तीनि तीनि वसु चंद्र, संवतसर के अंक । जेष्ठ शुम्ल सप्तम दिवस, पूरन पढी निसंक ॥११॥ दोहा ॥ इति पंचकल्याणक संपूर्ण ।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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