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[ गुटका संग्रह
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हिन्दी २० काल मा १८४०
है
फतेहचन्द्र
द, जादम जान्न वरणाय है. दर्शन दुहेलो जी
१०. उग्रसेन घर वारण जी ११. बारीजी जिनंदजी वारी
अपूर्ण
१२. जामन मरण का १३. तुम जाय मनावो १४. अब त्यूनेमि जिनंदा १५. राज कृषभ चरण नित बंदिये १६. कर्म भरमायै १७. प्रधुजी थांके सरण प्राया १८, पार उतारो जिनजी १६. थांको सांवरी मुरति छवि प्यारी २०. तुम जाय मनायो २१. जिन चरणो चितलायो २२. म्हारो मन लाग्योजी २३. चल जीव जरे २४. मो मनरा प्यारा २५. पाठ भवारो बालो २६. समदविजयजीरो जादुराय २७. नाभिजी के नन्दन २८. त्रिभुवन गुरु स्वामी २६. नाभिराय मोरा देवी ३०, वारि २ हो वोमांजी ३१. श्री ऋषभेसुर प्ररणमू पाय ३२. परम महा उत्कृष्ट प्रादि सुरि ३३. वै गुरु मेरे उर वसो ३४. करो निज सुखदाई जिनधर्म
नेमीचन्द सुखदेव
खेमचन्द
. मनसाराम
भूधरदास
विजयकीति
जीबगराम
सदासागर
मजेराम
भूधरदाल त्रिलोककात्ति