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हिन्दी
१० काल सं० १७८४
प्रजयराज
गुटका-संग्रह ] ३५. श्रीजिनराय की प्रतिमा बंदी जाय त्रिलोककीर्ति ३६. होजी यांकी सांवली सूरत 4. फतेहनन्द ३७. कबही मिलसी ही मुनिवर ३८. नेमोसुर गुरु सरस्वती
सूरजमल ३१. श्री जिन तुमसे वीनऊ ४०. समदविजयजीरो नंदको
मुनि'हीराचन्द ४१. शंभुजारो वासी प्यारो
मथविमल ४२. मन्दिर प्राखाला ४३. ध्यान धरयाजी मुनिवर
जिनदास ४४. ज्यारे सोभे राजि
निर्मल ४५. केसर हे केसर भीनो म्हारा राज ४६. समफित थारी सहलड़ौजी पुरुषोत्तम ४७. अवगति मुक्ति नहीं छ रे
रामचन्द्र ४८, वभावा ४६. श्रीमंदरजी सुराज्यो मोरी बीनती गुणचन्द्र ५०. करकसारी वीनतो
भगोसाह
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४४-४५
मजलसराय
५१. उपदेशबावनी ५२. जैनबद्री देशकी पत्री ५. ई. ८५ प्रकार के मूखों के भेद ५४. रागमाला ५५. प्रात भयो सुमरदेव ५६. बलि २ हो भवि दर्शन कार्ज ५७. देवो जिनराज देव सेव ५६. महाबीर जिन मुक्ति पधारे ५६. हमरतो प्रभु सुरति
सूपा नगर में सं० १८२६ में रचना हुई थी। हिन्दी , सं० १८२१ ६२-६६
६७-६६ है ३६ रागनियों के नाम हैं ७.
राग भैरूं
जगतरामगोदीका