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________________ [ गुटका संग्रह नवलराम ६ ] २७. ई विष खेलिये हो चतुर नर २८. प्रभु गुन गायो भविक जन २६. यो मन म्हारो जिनजी सू लाग्यो ३०. प्रभु चूक तकसीर मेरी माफ करो वे ३१. दरसन करत प्रष सदनसे १६-१७ ३२. रे मन लोभिया रे ३३ भरत नृप वैरागे चित भीनो ३४. देव दीन को दपाल जानि चरण शरण प्रायो ३५. गावो हे श्री जिन विकलप धारि ३६. प्रभुजी म्हारो अरज सुनो चितलाय ३७. ये शिक्षा चित लाई ३८. मैं पूजा फल बात सुनो ३६, जिन सुमरन की बार १०. सामायिक स्तुसि बंदन करि के ४१. जिनन्दजी की रुख रुख नेन लाय संतदास ४२. चेतो क्यों न ज्ञानी जिया ४३. एक परज सुनो साहब मोरी द्यानतराय ४४. मो से अपना कर दवार रिसभ दीन तेरा बुधजन ४५. सपना रंग में रंग दयोजी साहब ४६, मेरा मन मधुकर प्रटक्यो ४७. भैया तुम चोरी त्यागोजी पारसदास ४६. बड़ी २ पल २ छिन २ दौलतराम ४१, घट घट नटवर ५०. मारग अपनो जीय सुज्ञानी डोरै ५१. सुनि जीया रे चिरकाल रै सोयो १२. जग जसिया रे भाई भूधरदास xxx
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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