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________________ गुटका संग्रह ] " ५३. घाई सोही सुगुरु बसा ५४. हो मन जिनकी न क्यों नहीं रहे ५५ की परि इतनी मगरी करी सुदी १५ पूर्ण दशा जीर्ण | १. रनपूजा २. नन्दीश्वरद्वीप पूजा ३. स्नपनविधि ४. क्षेत्रपालपूजा ५. क्षेत्रपालाष्टक ६. वन्देतान की जयमाला ७. पार्श्वनाथ पूजा ८. पार्श्वनाथ जयमाल ६. पूजा धमाल १०. चिंतामणि की जयमाल ५४५३ गुटका सं० १०३ पत्र सं० ३२० पा० ६५५ पूर्णा- जी विशेष हिन्दी पदों का संग्रह है। ११. स्वि १२. विद्यमान बीस तीर्थङ्कर पूजा नवलराम १२. पावतीपूजा १४. रत्नावली व्रतों की तिथियों के नाम 19 १५. काल मंगल की १५. जिननाम १७. जिनयज्ञादिविधान १८. व्रतों की तिथियों का ब्यौरा 17 ५४६४. गुटका सं० २०४ पत्र सं० २०-१४४ ०६५५६ ० का ० १७२५ कार्तिक X x X x x X X X ब्रह्मरायमल्ल x नरेन्द्रकी 11 11 33 हिन्दी अशाधर X " 13 प्राकृत 13 संस्कृत ज्ञ "" X ५४५५. गुटका सं० २०४ प सं० ११७ १८६६ 93 19 संस्कृत हिन्दी भाकृत संस्कृत 31 हिन्दी 12 संस्कृत 17 हिन्दी [ ६५५ २३. अपूर 19 ३०-३२ ३३-४७ ४८-६० ६०-६४ ६४-६५ ६५-६६ ७० ७०-७३ ७४ k ७६-७८ ८२ C ८५-८७ 44-5€ ६-१०२ १०२-१२१ १२१-१३६
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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