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________________ २५४ ] २७३४. सुगन्धदशमीकथा २० काल X 1 ले० काल । पूर्ण वे० सं० ८०१ । क भण्डार [ कथा-साहित्य | पत्र सं० ६ । आ० ११६x४६ च । भाषा संस्कृत । विषय-कथा 1 विशेष – उक्त क्या के अतिरिक्त एक और क्या है जो प्रपूर्ण है। | २७३५. सुगन्धदशमी व्रत कथा - हेमराज । पत्र सं० ५ । श्रा० ६३७ इंच | भाषा - हिन्दी | विषय -- कथा । र० काल X | ले० काल सं० १९८५ श्रावण मुझे ५। पूर्ण । वे० सं० ६९५ | अ भण्डार | विशेष – भिण्ड नगर में रामसहाय ने प्रतिलिपि की भी ' प्रारम्भ - अथ सुगन्धदशमी व्रतकथा लिख्यते चौपाई श्रन्तिम दोहा वर्द्धमान बंदी सुखदाई, गुर गौतम वंदी चितलाय । सुगन्धदशमीव्रत सुनि कथा, वह मान परकाशी मथा ॥११॥ पूर्व रानवाह योग लेकिनगिराम । नाम चेलना गृहपटरानी, चंद्ररोहिणी रूप समान । नृप सिंहासन बैठी कदा, वनमाली फल हमामी तदा ||२|| सहर गहे लोउ तिम वास, सब श्रावक व्रत संयम धरे हेमराज कवियन यों कही, जैनधर्म को करेंप्रकास ॥ दान पूजा सी पातिक हरे । दिस्वभूषन परकासी सही 1 सोनर स्वर्ग अमरपति होय, मन वच काय सुनै जो कोम ॥ ३८ ॥ इति कथा संपूरणम् श्रावण शुक्ला पंचमी, चंद्रवार शुभ जान । श्रीजिन भुवन सहावनी, तिहां लिखा धरि ध्यान ॥ संवत् विक्रम भूप को, इक नव भाठ सुजान | ताके ऊपर पांच लखि, लीजे चतुर सुजान ॥ देश भदावर के विषै भिड नगर शुभ ठाम | ताही में हम रहत हैं, रामसाय है नाम || २७३६. हृदयवच्छ सावलिंगाकी चौपई-मुनि केशव । पत्र सं० २७ । आX४३ इंच भाषाहिन्दी | विषय - कथा | २० काल सं० १६६७ | वि० काल सं० १८३७ | वे० सं० १६४१ | द भण्डार विशेष कटक में लिखा गया। २७३७. सुदर्शनसेकी ढाल ( कथा ) ....... | पत्र सं०- ६ । प्रा० ९३x४३ इंच भाषा हिन्दी । विषय - कथा | र० काल X + ले० काल X | पूर्ण । वे० सं० ८६१ । श्र भण्डार | 7
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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