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________________ २३८ ] २६५६. राठौञ्चरतनमहेशदशोत्तरी [ राजस्थानी ] विषय - कथा ॥ २० काल सं० १५१३ वैशाख शुक्ला ६ । ले० काल x 1 अपूर्ण । भण्डार । दाहा [ कथा साहित्य पत्र सं० ३ से ५ । प्रा० ६३४ ६ च । भाषा - हिन्दी ० ० ६७७ । अ विशेष-प्रन्तिम पाठ निम्न प्रकार है सावित्री मया श्रीया मार्गे साम्ही भाई । सुंदर सोचने, इंदिर लइ बधाइ ||१|| कराई थी । हूया बदलि मंगल हरष वधीया नेह नवल । सूर रतन सतीयां सरीस, मिलीया जाइ महल ||२|| श्री सुरनर फुरउधरे, वैकुंठ कीधावास । राजा रथायस्तरणी, जुग प्रविवल जस वास ॥३॥ पथ वैशाखह तिथि नवमी पनरौतरं वरस्स । बार शुक्ल डोयाविद, हृोंदू तुरक बहस्स ||४१ जोडि भो खिडीयो जगे, रासो रतन रसाल । सूरा पूरा संभल, भउ मोटा भूपाल ||५|| दिल्ली राउ वाका उजेसी रासा का च्यार तुगर हिसी कपि बात कैसी ॥ इति श्री राठोडरतन महेस दासीत्तसरी वर्षानिका संपूर्ण । २६५७. रात्रिभोजनकथा - भारामा । पत्र सं० विषय - कथा | र० काल X | ले० काल X | पूर्ण वे० सं० ४१५ | अ भण्डार | २६५८. प्रति सं० २ । पत्र सं० १२ । ले० काल X | बे० सं० ६०६ च भण्डार । विशेष—इसका दूसरा नाम निशिभोजन कथा भी है। २६५६. रात्रिभोजनकथा - किशनसिंह पत्र सं० विषय - कथा | २० काल सं० १७७३ श्रावण सुदी ६ । ले० काल सं० क भण्डार । प्रा० ११३८ इंच | भाषा - हिन्दी पद्य | २४ | श्र० १३४५ इंच । भाषा - हिन्दी पद्य । १६२८ भादवा बुदी ५। पूर्ण । वे० सं० ६३५ । विशेष-ग भण्डार में १ प्रति और है जिसका ले० काल सं० १८८३ है। कालूराम साह ने प्रतिलिपि २६६०. रात्रिभोजन कथा " १० काल X | ले० काल X 1 मपूर्ण । ० सं० २६६ । ख भण्डार | विशेष-न भण्डार में एक प्रति ( ० सं० १११ ) और है । | पत्र सं० ४) मा० १०३४५ इंच । भाषा संस्कृत विषय क्या । >
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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