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________________ मोक्ष की राह बनायत जे । अरु कर्म पहाड करै चकचा, विश्वसुतत्त्व के ज्ञायक है तादी, लब्धि के हेत नौं परिपूरा। सम्यग्दर्शन चरित ज्ञान कहे, याहि मारग मोक्ष के सूरा, तत्व को 'अर्थ करो सरधान सो सम्यग्दर्शन मजहूरा ॥१॥ कवि ने जिन पद्यों में अपना परिचय दिया है वे निम्न प्रकार है:-- जिलो अलीगढ जानियो मेडूगाम सुधाम । मोतीलाल सुपुत्र है छोटेलाल सुनाम ।।१।। जैसवाल कुल जाति है श्रेणी वीसा जान | वंश इण्याक महान में लयो जन्म भू आन २॥ काशी मगर सुआय के संनी संगति पाय । उदयराज भाई लखो सिखरचन्द गुण काय ॥३॥ वंद भेद जानों नहीं और गणागण सोय । केवल भक्ति सुधर्म की वसी सुदृदय मोय ||४|| ता प्रभाव का सूत्र की छंद प्रतिज्ञा सिद्धि । भाई सु भधि जन सोधियो होय जगत प्रसिद्ध ॥५॥ मंगल श्री अहत है सिद्ध साध चपसार । तिन नुति मनवय काय यह मेटो विधन विकार ॥६ छंद बंध श्री सूत्र के किये सु वुधि अनुसार । मूलग्रंथ कू देखिके श्री जिन हिरदै धारिका कारमास की अष्टमी पहलो पक्ष निहार । अठसटि ऊन सहस्र दो संबत रीति विचार III । इति छंदशवसूत्र संपूर्ण । संवत् १६५३ चैत्र कृष्णा १३ बुधे । १६ दर्शनसार भाषा नथमल नाम के कई विद्वान हो गये हैं । इनमें सबसे प्रसिद्ध १८ वी शताब्दी के नथमल बिलाला थे जो मूलतः आगरे के निवासी थे किन्द बाद में हीरापुर (हिण्डौन) आकर रहने लगे थे। उक्त विद्वान के अतिरिक्त १६ वीं शताब्दी में दूसरे नथमल हुये जिन्होंने कितने ही ग्रंथों की भाषा टीका लिखी। दर्शनसार भाषा भी इन्हीं का लिया हुआ है जिसे उन्होंने संवत् १६२० में समाप्त किया था। इसका उल्लेख स्वयं कवि ने निम्न प्रकार किया है। बीस अधिक उगणीस सै शात, श्रायण प्रथम चोथि शनिवार । कृष्णपक्ष में दर्शनसार, भाषा नथमल लिखी सुधार १५६|| दर्शनसार मूलतः देवसेन का ग्रंथ है जिसे उन्होंने संवत् १६० में समाप्त किया था। नथमल ने इसी का पद्यानुवाद किया है। नथमल द्वारा लिखे हुये अन्य ग्रंथों में महीपालचरितभापा ( संवत् १६१८ ), योगसार भाषा (संवत् १६१६), परमात्मप्रकाश भाषा (संवत् १६१६), रत्नकरण्डश्रावकाचार भाषा (संवत् १९२०), पोडश.
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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