________________
( ११ ) उपदेशरत्नमाला भाषा (सं० २०६६) हरिकिशन का भद्रबाहु चरित (सं० १७५७) छत्तपति जैसवाल की मनमोदन पंचविशति भाषा (सं० १६१६ ) के नाम उल्लेखनीय हैं। इस भंडार में हिन्दी पदका भी अच्छा संग्रह है । इन कवियों में माणकचन्द, हीराचंद, दौलतराम, भागचन्द, मंगलचन्द, एवं जयचन्द छाबडा के हिन्दी पद उल्लेखनीय हैं ।
३. शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर जोबनेर ( ख भंडार )
यह शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर जोबनेर में स्थापित है जो खेजडे का रास्ता, चांदपोल बाजार में स्थित है। यह मन्दिर कब बना था तथा किसने बनवाया था इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन एक ग्रंथ प्रशस्ति के अनुसार मन्दिर की मूल नायक प्रतिमा पं० पन्नालाल जी के समय में स्थापित हुई श्री | पंडितजी जोबनेर के रहने तथा इनके रिले दुबे अल्यवान धर्मचक्र पूजा आदि बंध भी इस भंडार में मिलते हैं । इनके द्वारा लिखी हुई सबसे प्राचीन प्रति संवत् १६२२ की है।
शास्त्र भंडार में ग्रंथ संग्रह करने में पहिले पंद पन्नालालजी का तथा फिर उन्हीं के शिष्य ० बख्तावरलाल जी का विशेष सहयोग रहा था । दोनों ही विद्वान ज्योतिष, आयुर्वेद, मंत्रशास्त्र, पूजा साहित्य के संग्रह में विशेष अभिरुचि रखते थे इसलिये यहां इन विषयों के ग्रंथों का अच्छा संकलन है । भंडार में ३४० मंथ हैं जिनमें २३ गुटके भी हैं। हिन्दी भाषा के ग्रंथों से भी भंडार में संस्कृत के ग्रंथों की संख्या अधिक है जिससे पता चलता है कि ग्रंथ संग्रह करने वाले विद्वानों का संस्कृत से अधिक प्रेम था ।
भंडार में १७ वीं शताब्दी से लेकर १६ वीं शताब्दी के ग्रंथों की अधिक प्रतियां हैं। सबसे प्राचीन प्रतिपद्मनन्दिर्पचवैिशति की है जिसकी संवत् १४७८ में प्रतिलिपि की गई थी। भंडार के उल्लेखनीय ग्रंथों में पं० आशाधर की आराधनासार टीका एवं नागौर के भट्टारक क्षेमेन्द्रकीर्ति कृत गजपंथामंडलपूजन उल्लेखनीय ग्रंथ हैं । आशाधर ने धाराधनासार की यह वृत्ति अपने शिष्य मुनि विजयचंद के लिये की थी । प्रेमी जी ने इस टीका को जैन साहित्य एवं इतिहास में अप्राप्य लिखा है। रघुवंश काव्य की भंडार मैं सं० १६८० की अच्छी प्रति है ।
हिन्दी ग्रंथों में शांतिकुशल का अंजनारास एवं पृथ्वीराज का रूक्मिणी विवाहलो उल्लेखनीय ग्रंथ हैं। यहां बिहारी सतसई की एक ऐसी प्रति है जिसके सभी पथ वर्णं क्रमानुसार लिखे हुये हैं। मानसिंह का मानचिनोद भी आयुर्वेद विषय का अच्छा ग्रंथ है।
४. शास्त्र भंडार दि. जैन मन्दिर चौधरियों का जयपुर ( ग भंडार )
यह मन्दिर बोली के कुआ के पास चौकड़ी मोदीखाना में स्थित है पहिले यह 'नेमिनाथ के मंदिर' के नाम से भी प्रसिद्ध था लेकिन वर्तमान में यह चौधरियों के चैत्यालय के नाम से प्रसिद्ध है। यहां छोटा