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________________ 1 ५७२ ] [ गुटका-संग्रह विशेष- कुल २४ कवित्त है । प्रत्येक मास का विरहिनी वर्णन किया गया है । प्रत्येक कवित्त में सुन्दर शब्द हैं । सम्भव है रचना सुन्दर कवि की है। ३. नखशिखवर्णन केवामदास हिन्दी १४-२८ ले. काल सं० १७४६ माह बुदी १४ । विशेष-कोरगढ में प्रतिलिपि हुई थी। ४. कवित्तगिरधर, मोहन सेवग प्रादि के हिन्दी ६०५६. गुटका सं०१४ । पत्र सं० ३६ | प्रा० ५४५ इ० | भाषा-हिन्दी ले. काल XI पूर्ण । के.सं. १५२३ । विशेष-सामान्य पाठों का संग्रह है। ६०६०. गुटका सं० १५ । पत्र ० १६८ | मा० ५४६३० [पा-हिन्दी । विषम-पद एवं पूजा। ले. काल सं० १८३३ आसोज बुदी १३ । पूर्ण । वे० सं० १५२४ । १. पदसंग्रह हिन्दी विशेष-जिनदास, हरीसिंह, बनारसीदास एवं रामदास के पद हैं । राग रागनियों के नाम भी बिये हुये हैं २. चौयोसतीर्थङ्करपूजा रामचन्द्र हिन्दी ५८-१९८ ६०६१. गुटका सं० १६ । पत्र सं० १७१ । प्रा० ७४६ इ. | भाषा-हिन्दी संस्तुत 1 ले. काल सं० १६४७ । अपूर्ण । वे० सं० १५२५ । वियोष-मुख्यतः निम्न पाठों का संग्रह है। १. विरदावली सस्कृत विशेष-पूरी भट्टारक पट्टावली दी हुई है। २. ज्ञानबावनी मतिशेखर १८-१०२ विशेष-रचना प्राचीन है। ५३ पद्यों में कवि ने अक्षरों की बावनी लिली है। मतिशेखर की लिखी हुई धना घउपई है जिसका रचनाकाल सं० १५७४ है । ३ त्रिभुवन की विनती गङ्गादास विशेष---इसमें १०१ पद्य हैं जिसमें ६३ शलाका पुरुषों का वर्णन है । भाषा गुजराती लिपि हिन्दी है। ६०६२. गुटका सं०१७ । पत्र सं० ३२-७० । मा० ५४६ ३० । भापा-हिन्दी । ले. काल सं. १५४७ । अपूर्ण ! वे० सं० १५२६ । विशेष—सामान्य पाठों का संग्रह है।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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