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गुटका-संग्रह ]
[ ७७१ ६०५६. गुटका सं० ११ । पत्र सं० ४६ । पा. १०x१० । भाषा-हिन्दी । ले. काल ४ | अपूर्ण । वे० सं० १५१४ १. रसिकप्रिया
फेशवदेव
हिन्दी प्रपूर्ण १-४८ ले. काल सं० १७६१ जेष्ठ सुदी १४
२. कवित्त
४६ ६०५५. गुटका सं० १२ । पत्र सं० २-२६ । प्रा. ५४६ इo | भाषा-हिन्दी । ले० काल X । अपूर्ण
विशेष-निम्म पाठ उल्लेखनीय है । १. स्नेहलीला
जनमोहन
हिन्दी अन्तिम-या लीला अज वास की गोपी कृष्ण सने ह ।
जनमोहन जो गाव ही सो पावै नर देह ॥११।। जो गावे सीखें सुनै भाव भक्ति करि हेत | रसिकराय पूरण कृपा मन बांछित फल देत ॥१२०॥
॥ इति स्नेहलीला संपूर्ण । विशेष-ग्रन्थ में कृष्ण ऊधत्र एवं ऊधव गोपी संवाद है।
६०५८. गुटका सं० १३ । पत्र सं० ७६ । प्रा० Ex६३ इ० । भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० X । पूर्ण । ० सं० १५२२
१. रागमाला
श्याम मिश्र
हिन्दी
१-१२
१. काल सं० १६०२ फागुग बुदी १ ले काल सं० १७४६ सावन सुदी १५ । विशेष-ग्रन्य के प्रादि में कासिमखां का वर्णन है । मध का दूसरा नाम कासिम रसिक बिलास भी है । अन्तिम संवत् सौरह से वरण ऊपर बीते दोय ।
फागुन वदी सनो इसी सुनो गुनी जन लोय ॥ पोथी रची लहौर स्याम मागरे नगर के।
राजघाट है और पुत्र चतुर्भुज मिश्र के ।। इति रागमाला ग्रन्थ स्याम मिश्र कृत संपूर्ण । संवत् १७४६ वर्षे सावण सुदी १५ सोववार पोथी सेरगढ़ प्रगर्ने हिंडोंग का में साह गोरधनदास अग्रवाल की पोथी चे लिली लिखतं मौजीराम । २. द्वादशमासा (धारहमासा) महाकविराइसुन्दर
हिन्दी