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काध्य एवं चरित्र ]
[ १६५ २०५८. चारुदत्तचरित्र-कल्याणकीति 1 पत्र सं० १६ । प्रा. १७६४४, इन। भाषा-हिन्दी । विषय-सेठ चारुदत्त का चरित्र वर्णन । र० काल सं० १६६२ । ले. काल सं.० १७३३ कात्तिक बुदी ६ । मपूर्ण । वे सं०८७४।श्र भण्डार ।
विशेष –१६ से भागे के पत्र नहीं हैं । अन्तिम पत्र मौजूद है । बहादुरपुर ग्राम में पं० अमीचन्द ने प्रति लिपि की थी। आदिभाग-... ॐ नमः सिम्यः श्री सारवाई नमः॥
प्रादिजिनमादिस्वनु प्रति श्री महावीर । श्री गौतम गएर ननु वलि भारति गुणगंभीर ।।१।। श्री मूलसंघमहिमा घणो सरस्वतिगछ शृंगार । श्री सकलकत्ति गुरु अनुक्रमि नमुश्रीफ्ननंदि भवतार ॥२॥ तस गुरु भ्राता शुभमति श्री देवकीर्ति मुनिराय । चारुदत्त श्रेष्ठीतणो प्लबंध रौं नमी पाय ।।३।। .......... महारक सुखकार ॥ मुखकर सोभागि मति विचक्षण वदि वारा केशरी। भट्रारक श्री पपनंदिवरणकंज सेवि हरि ॥१०॥ एसह रे गछ मायक प्रगमि करि देवकीरति रे मुनि निज गुरु मन्य परी। धरिचित चरो नमि कल्याणकीरति इम भागौं । चारुदत्तकमर प्रबन्न रचना रघिमि पावर परिण ॥११॥ रायदेश मध्यि रे भिलो चास निज रचनामि के हरिपुर निहसि हसि अमर कमारनितिहां धनपति विस विलसए । प्रासाद प्रतिमा गित प्रतिकार मुक्त संचए ॥१२॥ सुकृत संमि रेवत बह पारि हान महोदवरे जिन पूजा कर करि उद्दव गान गंव चन्द्र जिन प्राचादए । नाजन सिमर सोहामण श्वान कनक करना विश्वास ॥ मंडप मभि समयमा मोहि थी जिन बिबरे मनोहर जन सोहि ।