________________
ज्योतिष एवं निमित्तज्ञान ]
चक्र हैं जिनमें २० नाम दिये हुये हैं ३१०१ सं० ३ ३१०५. शकुनावली
२० काल ४ । ० काल सं० १५१० | अपूर्ण ० सं० १२५८ अ भण्डार | ०२ मा० १२४ ६
२१०६. शकुनावली.
पत्र २० काल X ० काल सं० २००८ प्राोज बुदी ६ पूर्व
I
० सं० १९६६
विशेष- पातिगाह के नाम पर रमलशास्त्र है । ३१०७. शनश्चिरदृष्टिविचार | पत्र सं० १
ज्योतिष | २० काल X | लेकालX | पूर्ण । वे० सं० १८४६ | अ भण्डार विशेष द्रावण राशि में मे शनिभर दृष्टि विचार है। ३१०६. शीघ्रबोध- काशीनाथ विषय- ज्योतिष र० काल X ० काल X
पत्र सं० ११ से २०
भण्डार ।
। २.१.३
विशेष- रामचन्द्र ने उदयपुर में राशा संग्रामसिंह के शासनकाल में प्रतिनिधि की भी २० मार पत्र ५ मे भागे प्रश्नों का फल दिया हुआ है।
भण्डार |
य मं० १४ | ०० ० ३४० | म भण्डार
। पत्र ०५ से ८ श्र० ११९५ इ'च । भावा-हिन्दी विषय- ज्योतिष |
भाण-हिन्दी पद्य विषय कुन मा ।
० १२४५ श्च । भाषा-संस्कृत | विषय -
भा० ०२४३ भाषापंस्कृत
पूर्ण वे० सं० १६४३ | अ भण्डार
३१०६. प्रति सं० २ | पत्र सं० ३१ | ले० काल सं० २८३० । ० सं० १८६ | स्व भण्डार | विशेष-पं माणिकचन्द्र ने घोढीग्राम में प्रतिलिपि की थी ।
३११०. प्रति सं० ३ ० २८ ले० काल ०१०४० मागोजी ६०० १२८
विशेष-संपतिराम विन्दुका ने स्वपठनार्थ प्रतिलिपि की श्री ।
३१११. प्रति सं० ४ । पत्र ०७१ ० का ० १८६६ मा १४ मं २५५/
विशेष आ० रत्नफीति के शिष्य पं० सवाईराम ने प्रतिलिपि की थी।
इनके अतिरिक्त भण्डार में ४ प्रतिमा ३० सं० २०४, १०५६ १५५१, २२०० ) भण्डार में प्रति ( ० [सं०] १५०) छ, म त द भण्डार में एक एक प्रति वे० मं० १३८, १६२ तथा २११६ ) और हैं। पत्र सं० ७ १ ० ६३४४ इत्र | भाषा-संस्कृत | विषय - ज्योतिष |
३११२. शुभाशुभयोग
२० । ० का ० १०७२ पौष सुदी १० पू० सं० १०८ भण्डार |
विशेष-पं० हीरालाल ने जोबनेर में प्रतिनिधि को भी ३११३. संक्रांतिफल
काल X | ले० काल X पूर्ण । वे सं० २०१ । ख भण्डार |
पत्र [सं० १ ० १०२४ इंच भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष । २०