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२. श्यामवतीसी
नन्ददास
बीकानेर निवासी महात्मा फकीरा ने प्रतिलिपि की । मालीराम कालाने ० १८३२ में प्रतिलिपि कराई थी ।
अन्तिम भाग -
दोहा - कृष्ण ध्यान चरासु मठ अवनहि सुत प्रवान 1
छन्द मत्तगयन्द -
सं० १६८६ |
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कहत स्याम कलमल कछू रहत न रंच समान ।। ३६ ।।
स्यो सनकादिक नारदस्मेद ब्रह्म सेस महेस तु पार न पायो । सां सुख व्यासविरंचि बखानत निगम कु ́ सोचि श्रगम बतायो ।
संभा नहि भाग जसोमति नम्बलला युग आनि कहायो ।
सो कवि या कवि काव्य करो कल्यान जु स्यांम भलै पुनगायी ॥ ३७॥
इति श्री नन्ददास कृत स्याम बत्तीसी संपूर्ण । लिखतं महात्मा फकोरा वासी बीकानेर का । लिखावतु मालीराम काला संवत् १८३२ मिती भादवा सुदी १४ ।
५५८६. गुटका सं० २०७ । पत्र सं० २०० पा० ७४५ इंच | भाषा - हिन्दी संस्कृत । ले० काल
विशेष - सामान्य पूजा पाठ, पद एवं भजनों का संग्रह है।
५५६०, गुटका सं० २०६ । पत्र सं० १७ | मा० ६२ ६३ इंच भाषा - हिन्दी |
विशेष – चाणक्य नीतिसार तथा नाथूराम कृत जातकसार है ।
५५६१. गुटका सं० २०६ | पत्र सं० १६-२४ । प्रा० ६xx इंच | भाषा - हिन्दी | विशेष- सूरदास, परमानन्द प्रादि कवियों के पदों का संग्रह है। विषय कृष्ण भक्ति है ।
[ गुटका संग्रह
५५६२. गुटका सं० २१० । पत्र सं० २८ । ० ६३५३ इंच | भाषा - हिन्दी । विशेष- चतुर्दशगुणम्यान चर्चा है ।
५५६३. गुटका सं० २११ । पत्र सं० ४६-८७ | प्रा० ६४६ इंच | भाषा - हिन्दी । ले० काल १५१० ।
विशेष- ब्रह्मरायमा कृत श्रीपालरास का संग्रह है ।
५५६४. गुटका सं० २१२ । पत्र सं० ६ १३० । ० ६४६ इंच ।
विशेष – स्तोत्र, पूजा एवं पद संग्रह है।