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________________ गुटका-संग्रह ५५६५. गटका सं०२१३ । पत्र सं. ११७ | प्रा० ६४५ इच । भाषा-हिन्दी। ले- काल १८४७ । विशेष-वीन के २७ पत्र नहीं है । सम्बोधपं चासिका ( द्यानतराय) वृजलाल की बारह भावना, वैराग्य पच्चीसी ( भगवतीदास ) मालोचना गाठ, गमावतोस्तोत्र ( समक्सुन्दर ) राजुल पच्चीसी ( विनोदीलाल ) प्रादित्यचार कथा ( भाऊ ) भक्तामरस्तोत्र यादि पाठों का संग्रह है। ५५६६. गुटका सं० २१४ । पत्र सं० ५४ । प्रा० ६४६ च । विशेष-सुन्दर शृंगार का संग्रह है ! ५५६७. गुटका सं० २१५ 1 पत्र सं० १३२ | या० ६x६ च । भाषा-हिन्दी । १. कलियुग की विनती देवाया ३ सीताजी की विनती ७-८ ३, हंस की डाल तथा विन लाल ६-१२ ४. जिन बरजी को विनती देवापाण्डे ५. होली कथा छीतरठोलिया २० सं० १६६०३-१८ ६. विनतियां, ज्ञानपञ्चीसी, बारह भावना राजुल पश्चीसी प्रादि १६-४० ७. पांच परवी कथा ब्रह्मरण (भ. जयकीति के शिष्य ) ७६ पद्य हैं ४१-४० चन्द्रकवि ४५-६७ ८ चतुर्विवाति विनती ६. बधावा एवं विनती १०. नव मंगल विनोदोलाल ११. करका बतीली ७७-८१ गुलाबराम १२. बडा करका १३. विनतियां ५५६६. गुट का सं० २१६ । पत्र सं० १६४ । मा० ११४६ च । भापा-हिन्दी संस्कृत । विशेष---गुटके के उल्लेखनीय पाठ निम्न प्रकार है। १. जिनवरसत जयमाला মালার १-२ २. पाराधाना प्रतिबोषसार भट्टारक पट्टावली दी गई है। हिन्दी १३-१५ सकल कीति .
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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