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________________ सिद्धान्त एवं चर्चा ] १. कल्पसूत्र मद्रबाहु १० का X का सं० १९९० ग्रामोज सुदी ६० ११०४२ इस ॥ भा० प्राकृत पूर्ण सं १८४६ । ८ भदार | 1 ५२. प्रति सं० २ प ० २७४ २० काल x । प्रपूर्ण विशेष-संस्कृत टीका सहित है। गाबाओं के ऊपर ये दिया हुआ है। ५३. कल्पसूत्र टीका - समय सुन्दरोपध्याय । पत्र मं० २५ । प्रा० ६.२४ इन्च भाषा-संस्कृत । - श्रागम र काल X | ले. काल सं० १७२५ कार्तिक । पूर्ण वे० सं० २ ख भण्डार | I विशेष—फसर धाम में की रचना हुई थी टीका का नाम बदलता है। मारक ग्राम में पं भाग्य विशाल ने प्रतिनिधि की थी। १० कल १८१६ ५४. कल्पसूत्रवृत्ति" - पत्र सं० १२६ ॥ श्र० ११०४६ इंच भा० इंच भा० प्राकृत विषय भण्डार ५५ कल्पसूत्र भाग १० काल X से काल विशेष-संस्कृत में टिप्पण भी दिया हुआ है। - 7 पूर्ण सं. ११७ क भण्डार य [ · विषय आगम । १८६४ भार ..... पत्र सं० १० से ४४० १६४४३ च भाषा प्राकृत विषयपूर्ण वे० सं० २००२ भण्डार क्षपणासारवृत्ति - माधवचन्द्र विद्यदेव पत्र [सं० ६७ मा १२८७६ । 4 संस्कृत विषय सिद्धान्त २० काल क सं ११२५ वि० सं० १२६०० काल सं १८१६ नेशास बुदी ११ । । विशेष-पंथ के मूलकर्ता ५७. प्रति सं० २। पत्र सं० ५८. प्रति सं० ३ । सं० विशेष भट्टारक सुरेन्द्रमति के पदार्थ जयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। ५६. क्षपणासार - टीका " विषय सिद्ध १० काल X ले० काल X वार्य है। १४४ ले० काल सं० १९५५ । वे० नं० १२० । के भण्डार २०२० का सं० १८४७ भाषा बुदी २८ भण्डार .....। पत्र सं० ६१ । प्रा० १२३४५ इंच भा० संस्कृत । पूर्ण ० ० ११८ भण्डार ६०. लपणा सारभाषा - पं० टोडरमल | पत्र सं ० २७३१ ० १३४८ विषय- सिद्धान्त २० काल सं० १८१८ माघ सुदी ५ ले० काल १९४६ पूर्ण ० सं० ११६ । भा०] हिन्दी | भण्डार विशेष – क्षपणासार के मूलकर्त्ता प्राचार्य नेमिचन्द्र हैं । जैन सिद्धान्त का यह अपूर्व ग्रन्थ है। महा टोडरमलजी की गोमट्टसार ( जीव-काण्ड धौर कर्मकाण्ड ) लब्धिसार पोर क्षपणासार की टीका का नाम सम्मज्ञान इन्द्रिका है। इन तीनों की भाषा टीका एक ग्रन्थ में भी मिलता है। प्रति उत्तम है।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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