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________________ गुटका-संग्रह ] ५५००. गुटका सं०११। पत्र सं०२५१ । ०६:४६ इन्चाले०काल मं०१८३० असाढ़ बृदो ८ । प्रपूर्ण । दशा-सामान्य । विशेष-पुराने घाट जयपुर में ऋषभ देव चैत्यालय में रतना पुजारी ने स्व पठनार्थ प्रतिलिपि की थी। इसमें कवि बालक कृत सीता चरित्र हैं जिसमें २५२ पद्य हैं। इस गुटके का प्रथम तथा मध्य के अन्य कई पत्र नहीं हैं। ४५०१. गुटका सं० १२० । पत्र सं० १३३ । प्रा० ६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय संग्रह : पूर्ण । दशा-सामान्य ! १. रविव्रतकथा जयकीति हिन्दी २-३ले०कालसं. १७६३ पौष मुक प्रारम्भ सकल जिनेश्वर मन धरी सरसति चित्त ध्याऊं। सदगुरु चरण कमल नमि रविनत गुण गाऊ ॥१॥ व.पारसी पुरी सोभती मतिसागर तह साह । सात पुत्र सुहामणा दीठे दाले दाह ।। २ ।। मुनिवादि सेठे लीयो रविनोवत सार। सांभालि कहू बहासा कीया व्रत नंद्यो अपार ।। ३ ॥ नेह थी धन करण सहूगयो दुरजीयो थयो सेठ । सात पुत्र झाल्या परदेश अजोध्या पुरसेठ ।।४।। अन्तिम जे नरनारी भाव सहित रविनों व्रत कर सी। त्रिभुवन ना फल ने लही शिव रमनी बरसी ।। २० ।। नदी तट गच्छ विद्यागणी मूरी रायरत्न मुभूषन । जयकोति कही पाय नमी काष्ठासंघ गति दूषण ।। २१ ॥ इति रविब्रत कथा संपूर्ण । इन्दोर मध्ये लिपि कृतं । ले. काल सं० १७६३ पौष सुदी ८५० दयाराम ने लिपरी की थी। २. धर्मसार चौपई पं. शिरोमणि हिन्दी र० काल १७३२ | ले. काल १७६४ अवन्तिका पुरी में श्रीदयाराम ने प्रतिलिपि की।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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