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[ प्रस्थानुक्रमणिका प्रन्थ नाम
लेखक भाषा पृष्ठ सं० | प्रन्यनाम - लेखक भाषा पृष्ठ सं. कर्मदह्नपूजा टेकचन्द (e) ४६५ सासंपदावधि कर्मदहन [मण्डल चित्र
५२५ | | कलिकुण्डपार्श्वनाथपूजा भ० प्रभाचन्द्र (सं.) ४६७ कर्मदहन का मण्डल
(हि.) ६३८ कलिकुग पार्श्वनाथपूजा यशोविजय (सं०) ६५८ कर्मदहनप्रतमन्त्र
(सं०) ३४७ कलिकुण्डपार्श्वनाथपूजा - (हि.) ५६७ कर्म नोकर्म वर्गान (प्रा०) ६२६ कलिकुण्डपार्श्वनाथ [मंडलचित्र]
५२५ कर्मपश्चीसी
भारमल (हि.) ७६६ कलिकुण्डपार्श्वनाथस्तवन - (सं०) ६०६ कर्मप्रकृति नेमिचन्द्राचार्य (प्रा०) ३
कलिकुण्डपूजा
(सं०) ४६७ कर्मप्रकृतिचर्चा (हि०) ५, ७२०
४७५, ५१४, ५७४, ६०६, ६४० कर्मप्रकृतिपर्चा
(हि०) ६७० कलिकुण्डपूजा और जयमाल - (प्रा.) ७६३ र कर्मप्रकृतिटीका सुमतिकीत्ति (सं०) ५ | कलिकुण्डस्तवन कर्मप्रकृति का ब्यौरा - (हि) ७१८ | कलिनाण्डस्तवन कर्म प्रकृतिवर्णन
कलिकुण्डरलोत्र
(सं.) ४७५ मर्मप्रकृसिविधान बनारसीदास (हि.) ५ | कलियुग की कथा
(हि०) ६२२ ३६०, ६७७, ७४६ कलियुग की कथा द्वारकादास (हि.) ७७३ कर्मबसीसी राजसमुद्र (हि.) ६१७ | कलियुग की विनती देवाब्रह्म
(हि०) ६१५ कर्मयुद्ध की विनती - (हि) ६६४
६८५,७८८ कर्मविपाक
- (सं०) २२१, ५६६ | कल्किावतार [चित्र] कर्मविपाकटीका सकलकीर्ति (सं०) ५ |
कल्पद्रुमपूजा बविपाकफल (हि.) २८० कल्पसिद्धांतसंग्रह
(प्रा.) ६ कर्मराशिफल [कर्मविपाक] - (सं०) २८०
कल्पसूत्र
भद्रबाहु
(प्रा०) ६ कर्मस्तवसूत्र देवेन्द्रसूरि (प्रा०) ५ कल्पसूत्र भिक्खू अझगणं (प्रा.) कमहिण्डोलना
कल्पसूत्रमहिमा
(हि.) ३८३ कर्मी की १४८ प्रकृतियां
वल्पसूत्रटीका समयसुन्दरोपाध्याय (सं०) ७ फलशविधान __ मोहन (सं.) ४६६ कल्पसूत्रवृत्ति
(प्रा०) ५ कलश विधान
कल्पस्थान [कल्पत्र्याख्या
(सं०) २६७ कलशविधि - (सं०) ४२८, ६१२ / कल्याणक
समन्तभद्र (प्रा.) ३०३ कलशविधि विश्वभूषण (हि.) ४६६ / कल्याण बिडा]
५७६ कलशाभिषेक पं. आशाधर (सं.) ४६७ , कल्याणमञ्जरी विनयसागर (सं.) ३५४ कलशारोपराविषि पं० आशाधर (सं.) ४६६ | कल्याणमन्दिर इर्षकीर्ति (सं.) ४०१
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