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________________ ३७१ ] सोरठ- मोहन दफतरीसु मारोठ बिताई भलै । रुवनाथ मेतेसु भावकर आनियो । कालैडहरे चत्रदास टोकोवास नांगल मैं कोटवाडे झांझमांभू लघु गोपाल बानियाँ बावती जगनाथ राहोरी जनगोपाल । बारहदरी संतदास चावड्यलु भानियाँ प्रांधी में गरीबदास भानगढ माधव के । मोहन मेवाड़ा जोग साधन सो रहे है । टहटडे मैं नागर निजाम हू भजन कियो । दास जग जीवन धौंसा हर लहे हैं । मोहन दरियामीसो सम नागरचाल मध्य | बोकडास संत जूहि गोलगिर भये हैं || चैनराम कारणौता में गोंदर कपलमुनि । स्यामदास झालारसू बोडके में उये हैं । सक्थिा लाखा नरहर लू भजन कर । महाजन खंडेलवाल दादू गुर गद्दे हैं ।। पूरणदास ताराचन्द महाजन सुम्हेर वाली । आंधी में भजन कर काम क्रोध दहे हैं ॥ रामदास राणीबाई क्रांजल्या प्रगट भई । म्हाजन डिगाइबसू जाति बोल सहे हैं ॥ बावन ही थांभा अरु बावन ही महंत ग्राम । दादूपंथी चत्रवास सुने जैसे कहे हैं ॥ ३ ॥ जे नमो गुर दादू परमातम भादू सब संतन के हितकारी । मैं प्रायो सरति तुम्हारी ॥ टेक ॥ जै निरालंब निरवाना हम संत ते जाना । संतान को सरना दीजै, अब मोहि श्रपन कर लीजे ॥१॥ सबके अंतरयामी, अब करो कृपा मोरे स्वामी अवगत अवनासी देवा, दे वरन कवल की सेवा ॥२॥ जे दादू दीन दयाला काहो जग जंजाला । सतचित ग्रानंद में बासा, गावं वखतावरदासा ||३|| [ इतिहास 7
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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