________________
*
गुटका संग्रह ]
[ ७६३
६०३६. गुटका सं० ६ | पत्र सं० २० । ० ६x४ इ० | भाषा हिन्दी । ले० काल X। पूर्ण विशेष -- सामान्य पाठों का संग्रह, लोक का वर्णन, अकृत्रिम चैत्यालय दर्शन, स्वर्गनरक दुख वर्णन, चारों गतियों को आयु आदि का वर्णन, इष्ट बत्तीसी, पश्चमङ्गल, श्रालोचना पाठ यादि हैं।
६०३७. गुटका सं० २० । पत्र सं० ३८ | श्र० ७ ९ ६० भाषा-संस्कृत । ले० काल X। पूर्ण । विशेष-सामायिक पाठ, दर्शन, कल्याण मंदिर स्तोत्र एवं सहस्रनाम स्तोत्र है |
६०३८. गुटका सं० ११ । पत्र सं० १९६ | श्र० ४४५ ६० | भाषा - हिन्दी | ले० काल X | पूर्ण | संस्कृत हिन्दी ले० काल सं० १७२७ चैतसुदी ५
१. भक्तामर स्तोत्र टब्वाटीका
२. पद
हर्ष कत्ति
३. पंचगुरु की जयमाल
४. कवित
५. हितोपदेश टीका
६. पद-ते नर भव पाय कहाँ कियो
७. जकड़ी
८. पद - मोहिनी वहकायो सब जग मोहनी
X
X
33
( जिरा जिसस जप जीबडा तीन भवन में सारीजी }
ग्रं० रायमल्ल
ले० काल सं १७२६
=
X
X
रूपषन्द
X
मनोहर
१. जिनस्तुति
२. गुणस्थानकगीत
15
3
"
हिन्दी
६०३६. गुटका. सं० १२ । पत्र [सं० १३० १ ० १००० | भाषा हिन्दी सस्कृत 1 ले० काल X पूर्ण निम्न पाठ है:--
सुमतिकी
व० श्री वर्द्धन
99
29
क्षेत्रपाल पूजा ( संस्कृत ) क्षेत्रपाल जयमाल (हिन्दी) नित्यपूजा, जयमाल ( संस्कृत हिन्दी ) सिद्धपूजा (स० ) पोडश कारण, दशलक्षण, रत्नत्रयपूजा, कलिकुण्डपूजा और जयमाल ( प्राकृत ) नंदीश्वरपं किपूजा प्रनन्तचतुदेशीपूजा, अक्षयनिधिपूजा तथा पार्श्वनास्तोत्र मायुर्वेद ग्रंथ ( संस्कृत ले० काल सं० १६० १ ) तथा कई तरह की रेखाओं के चित्र भी है, राशिफल आदि भी दिये हुये हैं ।
६०४०. गुटका सं० १३ | पत्र सं० २८३ | श्र० ७५४ ६० | ले० काल सं० १७३८ । पूर्ण ।
गुटके में मुख्यतः निम्न पाठ हैं
हिन्दी
"