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________________ कং] २७. प्रति सं० ३ विशेष पन्तिम पत्र नहीं है। प्रति सं० ४ । पत्र ०२ से ६१ । ले० काल X | अपूर्णा । वे० सं० १६३६ |ट भण्डार । विशेष- अन्तिम पुष्पिकाइविता रत्नप्रभाकर मुनि श्री धर्मचन्द्र शिष्य श्री प्रभाषन्द्रदेव विरनिदेव देव भावना मिले मोक्ष पदार्थकथनं दशम सूत्र विचार प्रकरण समाप्ता ॥ भण्डार २६. तत्त्वार्थराजभर्तिक- भट्टाकलंकदेव विषय- सिद्धान्त । काले काल मं० १८७८ । विशेष—इस प्रतिको प्रतिलिपि ० १२८ २३०, प्रति सं० २०२० - क भण्डार [ सिद्धान्त एर चर्चा ०७२ | ले० काय 11३७ । भण्डार है। विशेष-यह ग्रन्थ में है। में तथा दूसरे में ६०१ से १२०० पत्र है। आम है। मूल के नीचे हिन्दी अर्थ भी दिया है। २ । काल भण्डार ३६० २६० श्च भाषा संस्कृत निकाल X ।। । ० ० १०७ । अ भण्डार | प्रांत में जयपुर नगर में की गई थी । मं० १९४१ भावा गुदी मे २३७ ॥ २३१. प्रति सं० ३ । विशेष मात्र ही है। २५२ प्रति सं० ४ ० ५०० ०० १७४१०२४४ विशेष-जयपुर होरीलाल श्रमाने प्रतिभिषि की। में २३३. प्रति सं० ५ । नत्र सं० १० । ० काल । अपू ०६५६ । ङ भण्डार । २३४. प्रति सं० पत्र १७४२१००० १२७ । ६ । सं । चभण्डार २३५. स्वार्थराजधानिकभाषा पत्र सं० २ ० १२२८ इ । भाषा - हिन्दी गद्य | २४५ | ङ भण्डार । या । रकशल 1 ले काल X ११३७ २६. तार्थवृत्ति-००७ सिद्धान्त | रचनाकाल X | काल मं० २६५८ भाषा-संस्कृत विषयबुढो १३ पुस । ० सं० २५२ | क मण्डार 我 विशेष-वृद्धि । नमनुबोधवृत्ति है। तत्रार्थ मुअ पर यह उम टीका है। पं० योगदेव कुम्भनगर दिवासी थे। यह नगर बनारा जिले में है। २३७ प्रति सं० २०१४७ २२२ काल २३८. तत्त्वार्थसार—अमृत चन्द्राचार्य । ५० प्रा० १३४ २३८ क भण्डार विशेष इस ग्रन्थ मे ६१ययों में विभक्त है। उनमें ७ तत्वों का किया भण्डार । भाषा संस्कृत विषय
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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