________________
गुटका-संग्रह
रालियो जिमि कंमें करिहि वनउ करि इम बोलइ । गुरु सियाल मेरह जिउन जंगमु पवरण भई किम डोलए । जो पंच विषय विरतु चित्तिहि कियउ खिउ कम्मह तणु । श्री भुवनकीति चरण प्रणमइ धरइ पठाइस मूलगुणा || ३ ।। दस लाक्षरण धर्म निनु धारि कुसंजमु संजमु भसशु वनिए । सत्रु मित्रु जो सम किरि देखई मुरनिरगंधु महा मुनीए ।। निरगंधु गुरु मद अट्टु परिहरि सवय जिम प्रतिपालए । मिथ्यात तम निद्धरण दिन म जैणधर्म उजालए ।। तेरनयतहं अखल चित्रह कियउ सकयो जम । श्री भुवनकीर्ति चरण पणमउ धरई दशलक्षिए धर्म ॥ ४॥ सुर तरु संघ कलिउ पितामसि दुहिए दुहि । महो धरि परि ए पंच सबद वाजहि उछरगि हिए। मावहि ए कामणि मधुर सरे प्रति मधुर सरि गावति कामरिण । जिगह मन्दिर अवही प्रष्ट प्रकार हि करहि पूजा कुसममाल चढ़ावहि ।। बूचराज भणि श्री रत्नकीति पाटिउ दयोसह गुरो । श्री भुवनीति पासीरवादहि संधु कलियो सुरतरो ।
॥ इति प्राचार्य श्री भुवनकीति गीत ॥
१५-१८
... नाही परीक्षा ६. प्रायुर्वेदिक नुसखे ७. पार्श्वनाथस्लवन
हिन्दी
२९-१०६
समयराज
सुन्दर सोहण गुण निलउ, जग जीवण जिण चन्दोजी । मन मोहन महिमा निलउ, सदा २ चिरनंदो जी ।। १॥ जैसलमेरू जुहारिए पाम्यउ परमानन्दोजी । पास जिरणेसुर जग धरणी फलियो सुरतरु फल्दोजी || २ ॥ जे.॥ मरिण माणिक मोती जयउ कचरारूप रसालो जी।
सिस्वर सेहर सोहतउ पूनिम ससिक्स भालोजी || ३ || जे०॥