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________________ [ गुटका-संग्रह र भण्डार [ आमेर शास्त्र भण्डार जयपुर ] ३२४६. गुद का सं० ११ पत्र सं० ३७ । भाषा-हिन्दी 1 विषय-संग्रह । ले. काल x 1 पूर्ण । वे. सं० १५०१ । १. मनोहरमंजरी मनोहर मिश्र १-२६ हिन्दी प्रारम्भ--- अथ ममाह मंजरी, पथना औपना लक्ष। याके योवनु मंकुरयो, अंग अंग छवि प्रोर । सुनि सुभान नव यौवना, कहत भेद । ठोर ।। मन्तिमः लहलहाति अति रसमसी, बहु सुवातु भपाठ (?) निरखि मनोहर मंजरी, रसिक भृङ्ग मंडरात ॥ सुनि सृजनि अभिमान तजि मन विचारि पुन थोष । कहा बिरहु कित प्रेम रसु, तही होत दुख मोख । वेद प्रत दे दीप के, अंक बीच प्रामास । करी मनोहर मंजरी, मकर चोदनी ग्यास ॥ माथुर का हो मधुपुरी, बसत महोली पोरि । करी मनोहर मंजरी, अनूप रस सोरि॥ इति श्र, सकललोककृतमणिमरीचिमंजरीनिकरनीराजितपददधुन्दावनविहारकारिलयाकटालमटोपासक मनोहार मिश्र विरचिता मनोहरमंजरीसमाप्ता। कुल ७४ पद्य हैं । सं० ७२ तक ही दिये हुये हैं। नायिका भेद वर्णन है। २. फुटकर दोहा विशेष- ७. दोहे हैं। ३. माधुर्वेदिक नुसने ६०४७. गुटका सं०२ । पत्र सं. २-५८ ! भाषा-हिन्दी । ले. काल सं० १७६४ । अपूर्ण । वे० सं० ३०-३६ । ३७ __x .. . मंबवास हिन्दी पद्य सं० २६१ २-२८ १. माममंजरी २. अनेकार्थमंजरी २८-४० स्वामी खेमदास ने प्रतिलिपि की थी।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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