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________________ [ गुटका-संग्रह ५६२ ] ५. पञ्चमेरु एवं नंदीश्वरपूजा ६. तीन चौबीसी के नाम व दर्शनपाठ द्यानतराय २-३५ संस्कृत हिन्दी ७. परमानन्दस्तोत्र बनारसीदास र, लक्ष्मीस्तोत्र द्यानतराय भगवतीदास उमास्वामी ६. निर्वाणकाण्डभाषा १०. तत्त्वार्थसूत्र ११. देवशास्त्रगुरुपूजा १२. चौबीस तीर्थङ्करों की पूजा । ५३६१. गुटका सं० ११ । पत्र सं० २२२ । प्रा. ११४६ इन | भाषा-हिन्दी 1 ले. काल सं० १७४६ । विशेष-निम्न पाठों का संग्रह है। १. रामायण महाभारत कथा हिन्दी गद्य . [४६ प्रश्नों का उत्तर है] २. कर्मचूरबतलि मुनि सकलकात्ति अथ बेलि लिख्यते दोहा कर्मचूर वत ने कर, जीनवाणी तंतसार । नरनारि भव भंजन धरे, उतर चौरासी सु पार ।। कोषौ कुर्ण कुरण भारभ्यो सकलकीति नाम, कर्म से इस कीधो पुरणो कोसंबी यसि गाम ।। नमणी गुरु निरगंथ ने, सारद दसगुण पुरै। कहो बरत बेलि उदयु करमसेण कर्मतुरे ॥ ज्ञानावर्ण दर्न साता वेदनी मोह मंदराई । अन्हें जीतने चेति होसी, कहालु कर वखरण सुहाई ॥ नाम कर्म पांचमोग कुछुगे प्रायु मेदो । गोत्र नीर गति पोहो चाह, अन्तराई भय भेदो॥ पितामणि सुचित प्रविलागी, कर्म सेरा गुणगाई॥१॥
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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