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________________ [ गुटका संग्रह ६२२ ] ३७. करम हिण्डोलणा ३८. पद-( ज्ञान सरोबर मांहि भूल रे हंसा ) सुरेन्द्रकीति ३९, पद-( बोवीसों तीर्थंकर करो नेमिचंद भवि वंदन) ४०. करमा की गति न्यारी हो ब्रह्मनाथू ४१. भारती ( करौं नाभि कंवरजी की लालचंद भारती) ४२. पारसी बानतराय ४३. पद-( जोवड़ा पूजो श्री पारस जिनेन्द्र रे) ४४. गीत ( डोरी थे लगायो हो नेमजी पांड़े नाथुराम __का नाम ल्यो) ४५. हरि-( यो संसार प्रमादि को सोही नेमिचन्द बाग बग्यो री लो) ४६. जुहरि-( नेमि कुंवर व्याहन चढयाँ राजुल कर इसिंगार) ४७. जोगोरासो पांडे जिनदास ४५. कलियुग की कथा ४६. राजुलपश्चीसी लालचन्द विनोदोलाल ५०. अष्टान्हिका वत कथा केशाब ,, ४ पद्य । ले० सं० १७७६ ५१. मुनिश्वरों की जयमाल ब्रह्मजिनदास बनारसीदास ५२. कल्याणमन्दिरस्तोत्रभाषा ५३. तीर्थङ्कर जकड़ी ५४. जगत में सो देवन को देव हर्षकीति बनारसीदास ५५. हम बैठे अपने मोन से ५६. कहा अज्ञानी जीवको गुरु ज्ञान बताने
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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