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________________ ७८६ ] वे सं १६११ । ६१२ गुटका सं० ८५ प ० १५०८०६० भाषा हिन्दी ले० काम पूर्ण ० [सं०] १९५६ पूर्ण विशेष देवराव कुल पदों का संग्रह है। ६१२. गुदा सं० ८६ पत्र सं० ४० प्रा० ६६४३ ६० भाषा-हिन्दी ले० का १७२३ I I विरास - ६१३०० 1 ० सं० १६५७ । वै० सं० १६५५ । ० मं० १६५६ विशेषाओं का संग्रह है। ६१३१. गुटका सं० २८० ६६५३३० भाषा-संस्कृत लेकर X 1 म विशेष – नित्य नैमितिक ६१३२. गुटका सं० विशेष— भगवानदान कृत प्राचार्य शान्तिसागर की पूजा है। ६१३३. गुटका सं० ६० ० सं० १६६२ । [ गुटका सं पू म कलामन्दिर तोत्रभाषा है। ०७०-१२०० ६५३६० भा हिन्दी ० १२६४ पूजा पाठों का संग्रह है [सं० १९० ७४६० भाषा-हिन्दी से काल । पूर्ण दे० ० १६६३ ० सं० १६६० १ विशेष-स्वरुपचन्द कृत सिद्ध क्षेत्रों की पूजामों का संग्रह है। ६१३४. गुटका सं० ११ । पत्र स० ७२ । प्रा० ६३X६ ३० । भाषा - हिन्दी । ले काल सं० १६१४ -- पूर्ण वे० [सं०] १६६१ I विशेष प्रारम्भ के १ पत्रों पर १५० तक पहाड़े हैं जिनके ऊपर नीति तथा शृङ्गार रस के ४७ दोहे हैं। गिरधर के कवित्त तथा शनिश्चर देव को कथा आदि हैं। ६१३५. गुटका सं० ६२ । पत्र सं० २०१० ५X४ ३० । नायः - हिन्दी । ले० काल x अ सं० २६ । धा० ६३७ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल १९१८ । विशेष फौतुक रत्नमं (मंत्र) ६१३६. गुटका ०६३ पत्र ०३७ ज्योतिष सम्बन्ध साहित्य है। मा ५४ भाषा-संस्कृX पूर्ण <
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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