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फतेहनद
गुटक.-संग्रह ]
८६. देखि प्रभु दरस कारण २७. प्रभु नेमका भजन करि ८८, प्राजिउदै घर संपदा
बचतराम
खेमचन्द शीमाचन्द
८६. भज भी ऋषभ जिनंद
भानुकोत्ति
६०. मेरे तो योही चाव है ६१. मुनिसुव्रत जिनराज को ६२. मोरे प्रभु संप्रीति लगी ६३. शीतल गंगादिक जल
दीपचन्द
बिजयकीति
६४. तुम प्रातम गुण जानि
बनारसीदास
१५, सब स्वारथ के मीत है १६. तुम जिन अटके रे मन
श्रीभूषस १७. कहा रे अज्ञानी जीवकू ६८. जिन नाम सुमर मन बावरे बानतराय ६६. सहस राम रस पीजिये
रामदास १००. सुनि मेरी मनसा मालनी १०१. वो साधु संसार में १०२. जिनमुद्रा जिन सारसी १०३. इणविधि देव प्रदेव की मुद्रा लखि लीजै x
mm Xxx KKKA KAM दमी
१०४. विद्यमान जिनसारसी प्रतिमा जिमवरकी लालचंद
१०५. काया बाडी काठको सींचत सूके प्राग मुनिपतिलक १०६. ऐसे क्यों प्रभु पाइये १०७. ऐसे मों प्रभु पाइये १०८. ऐसे यो प्रभु पाइये मुनि पंडित प्राणी x १०६. मेटो विथा हमारी
नयनसुख ११०. प्रभुजी जो तुम तारक नाम परायो १११, रे मन विषयों भूलियो
भानुकीर्ति
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