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________________ गुटका-संग्रह । ६८. गट कर सं०३९ । पथ सं० २-१५६ । ग्रा० ५५ इ. । भाषा-"हदी । ले। काx1 पूर्ण । ० सं० १५५ । मुख्यतः निम्न या वा संग्रह है: (५ प्रारलिया है) १. भारती संग्रह द्यानतराय २. मारती-विह विधि भारती करी प्रभू तेरी मानसिंह ३. पारती-हविधि भारती बारों प्रभु तेरी दोगबन्द ४. पारती-करो मारतो प्रातम देवा विहारीदास ५. पद संग्रह झानतराय ६. पद-शार अधिर भाई मानसिंह ७. पूजाष्ट्रय विनोदीलाल 5. पद-संग्रह भूधरदास है पद-जाग पियारो अब बया सोय कवीर १०. पद-क्या सोचेमिाग रे प्रभाती मान समयमन्दर ११. सिद्धपूजाष्टक दौलतराम १२. भारती शिलों की शालचन्द १३. गुरुपटक सनतरस्य १४. साधु की प्रारती हेमराज १५. वाणी अष्टक व जयपाल धानतराय १६. पार्श्वनाथाष्टक मुनि सपाल नीति अन्तिम--अष्ट निधि पूजा अर्च उतारी सफल कीतिगुगि काज गुदा १७. ने मनायाष्टक সুন हिन्दी १८. पूनासंग्रह लालचन्द १६. पद-ठ तेरो मुल देस्य नामजी ने नंदा दोर २२. पद-देखो भाई याज रिपभ परि आई साहकोरत २१. पद-संग्रह शोभावन्द शुभचन्द आद २२ बरण मंगल बंसो २३. क्षेत्रपाल भैरवगीत शोभावन्द्र ११७ १३८ दी १४६
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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