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________________ ६१६ ] { गुटका-संप्रद प्राकृत x x विशेष-तीन मगा गुटकों का मिश्रण है। १. पश्टिकम्मणसूल २. पञ्चल्याण 1. बन्दे तू सूत्र ४, भणपार्श्वनास्तबन (बृहत) मुनिअभयदेव ५. अजितशांतिस्तवन x पुरानो हिन्दी x x x ७. भयहस्तोत्र ८. सारिनिवारणस्तोत्र जिनदत्तसूरि १. गुरुपारतंत्र एवं सप्तस्मरण १५. भक्तामरस्तोत्र प्राचार्य मानतुग संस्कृत ११. कल्याणमन्दिरस्तोत्र १२. शांठिस्तवन देवसुरि १३. सपिजिनस्तवन प्राकृत लिपि संवत् १७५० प्रामोज सुदी ४ को सौभाग्य हर्ष ने प्रतिलिपि की थी। १४. जीवविचार श्रीमानदेवसूरि प्राकत कृनुदचन्द्र १५. नवतत्त्वविचार १६. अजितशांतिस्तवन भेरुनन्दन पुरानी हिन्दी १७. सीमंधरस्वामीस्तवन राजस्थानी X १८. शीतलनाथस्तवन समयसुन्दर गणि १६. थंभरणपार्श्वनाथस्तवन लघु २०. २१. प्रादिनाथस्तवन समयसुन्दर २६. चतुर्विशति जिनस्तवन जयसागर २३. चौबीसजिन मात पिता नामस्तवन प्रानन्दसूरि २४, फलवधी पार्श्वनाथन्नयन समयसुन्दरगरिए हिन्दी " रचना० सं० १५६२ राजस्थानी
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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