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{ गुटका-संप्रद
प्राकृत
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विशेष-तीन मगा गुटकों का मिश्रण है। १. पश्टिकम्मणसूल २. पञ्चल्याण 1. बन्दे तू सूत्र ४, भणपार्श्वनास्तबन (बृहत) मुनिअभयदेव ५. अजितशांतिस्तवन
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पुरानो हिन्दी
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७. भयहस्तोत्र ८. सारिनिवारणस्तोत्र
जिनदत्तसूरि १. गुरुपारतंत्र एवं सप्तस्मरण १५. भक्तामरस्तोत्र
प्राचार्य मानतुग
संस्कृत ११. कल्याणमन्दिरस्तोत्र १२. शांठिस्तवन
देवसुरि १३. सपिजिनस्तवन
प्राकृत लिपि संवत् १७५० प्रामोज सुदी ४ को सौभाग्य हर्ष ने प्रतिलिपि की थी। १४. जीवविचार
श्रीमानदेवसूरि
प्राकत
कृनुदचन्द्र
१५. नवतत्त्वविचार
१६. अजितशांतिस्तवन
भेरुनन्दन
पुरानी हिन्दी
१७. सीमंधरस्वामीस्तवन
राजस्थानी
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१८. शीतलनाथस्तवन
समयसुन्दर गणि १६. थंभरणपार्श्वनाथस्तवन लघु २०. २१. प्रादिनाथस्तवन
समयसुन्दर २६. चतुर्विशति जिनस्तवन
जयसागर २३. चौबीसजिन मात पिता नामस्तवन प्रानन्दसूरि २४, फलवधी पार्श्वनाथन्नयन समयसुन्दरगरिए
हिन्दी
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रचना० सं० १५६२
राजस्थानी