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[ पूजा प्रतिष्ठा एवं विधान साहित्य ४५६६. जिनसंहिता - भद्रबाहु पत्र सं० १३० । ० ११४५३ इव । भाषा-संस्कृत विषय -- पूजा प्रतिष्ठादि एवं प्राचार सम्बन्धी विधान २० काल X से० काल X 1 पूर्ण वे० सं० ११६ । क भण्डार | ४६००. जिनसंहिता - भ० एकसंधि | पत्र सं० ८४ प्रा० १३९५ इ | भाषा - संस्कृत । विषयपूजा प्रतिष्ठादि एवं आधार सम्बन्धी विधान २० काल X | ले० काल सं० १६३७ चैत्र बुदी ११ पूर्ण १ ० सं० १६७ | क भण्डार |
विशेष- ५७ ५८, ८१ ८२ तथा ८३ पत्र खाली हैं ।
४६०१. प्रति सं० २ । पत्र सं० ८५ । ले० काल सं० १८५३ । वे० सं० १६८ | क भण्डार । ४६०२ प्रति सं० ३ | पत्र सं० १११ | ले० काल X | वे० सं० ५६ | व भण्डार |
४६०३ जिनसंहिता पत्र सं० १०६ | श्रा० १२४६ इंच भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा प्रतिहादि एवं श्राचार सम्बन्धी विधान १० काल X | ले० काल सं० १८५६ भादवा बुद्दी ५ | पूर्ण । वे० सं० १६५ १ क भण्डार ।
विशेष — ग्रन्थ का दूसरा नाम पूजासार भी है। यह एक संग्रह ग्रन्थ है जिसका विषय बोरसेन, जिनसेन पूज्यपाद तथा सुभद्रादि प्राचार्यों के ग्रन्थों से संग्रह किया गया है । ६६ पृष्ठों के प्रतिरिक्त १० पत्रों में ग्रन्थ से सम्यन्धित ४३ यन्त्र दे रखे हैं।
४६०४. जिनसहस्रनामपूजा - धर्म भूषण पत्र सं० १२६ | आ० १०x४३ | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । १० काल X | ले० काल से ० १६०६ बैशाख बुदी २ पूर्ण वे० सं० ४३८ १ श्र भण्डार |
विशेष – लिद्धमणलाल से पं० सुखलालजी के पठनार्थ हीरालालजी रेशवाल तथा पसेवर वालों ने किला खण्डार में प्रतिलिपि करवाई थी ।
अन्तिम प्रशस्ति — या पुस्तक लिखाई किला खण्डारि के कोटडिराज्ये श्रीमाममित्रजी तत् कंबर फतेसिंहजी बुलाया बालू बेदी निमित्त श्रीसहस्रनाम को मंडलजी बायो उत्सव करायो श्री ऋषभदेवजी का मन्दिर में माल लियो दरोगा चत्रभुजी वासी बगरू का गोत पाटणी रु० १५) साहजी गणेशलालजी साह ज्याकी सहाय से हुवी ।
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४६०५. प्रति सं० २ | पत्र सं० ८७ | ले० काल x | ० सं० १९४ | क भण्डार |
४६०६. जिनसहस्रनामपूजा-स्वरूपचन्द विलाला । पत्र सं० ६५ ० ११४५३ | भाषाहिन्दी | विषय-पूजा २० काल सं० १६१६ प्रासोज सुदी २ । ले० काल X। पूर्ण । वे० सं० ८७१३ । क भण्डार । ४६.७. जिनसहस्रनामपूजा - चैनसुख लुहाडिया | पत्र सं० २६ । ४० १२४५ इम । भाषाहिन्दी | विषय-पूजा र० काल X 1 ले- काल सं० १९३६ माह सुदी ५। पूर्ण वे० सं० ७७२ / क भण्डार