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गुटका-संग्रह ]
[ ६४३
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७. जकड़ी
बानतराय
हिन्दी
वृन्दावन
८. मगन रहो रे तू प्रभु के भजन में ६. हम आये हैं जिनराज तोरे वंदन को
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द्यानाराय
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ले. काल सं० १७६६ ,
५३-६.
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१०. राजुलपचीसी
विनोदी नाल लालबन्द
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विदोष-ले० काल सं० १७६६ । दयाचन्द लुहादिया ने प्रतिलिपि की थी। पं. फकीरचन्द कासलीवाल ने प्रतिलिपि करवायी थी।
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११. निर्धारणका भाषा
भगवतीदास १२. श्रीपालजी की स्तुति १३. मना रे प्रभु चरणा त बुलाय
हरीसिंह १४. हमारी करपा त्यो जिनराज
पअनन्दि १५. पानीका पतासा जैसा तनका तमाशा है [कवित्त] केशवदास १६. कवित्त
जयकिशन सुंदरदास प्रादि १७. गुणवेलि
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६६-७२
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१५. पद-थारा देश में हा लाल गढ़ बड़ो गिरनार ४
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२६. कक्का गुलाबबन्द
७८-२
२० काल सं० १७६ ले० काल सं० १८०० २०. पंचवधाचा
हिन्दी २१. मोक्षपेडी -१२२. भजन संग्रह २३. दानकीवीनती
जसीदास
संस्कृत
निहालचन्द्र अजमेरा ने प्रतिलिपि की संवत् १८१४ । २४, शकुनाबली
हिन्दी लिपिकाल १७६७ ६-१०५ २५. फुटकर पद एवं कवित्त
५४५६ गुटका सं.७५-पत्र संख्या-११६ । प्रा.-xxsच। ले. काल सं० १५४८ | दशा सामान्य । प्रपूर्स । १. निर्वाणकाण्डभाषा
भगवतीदास २, कल्याणमंदिरभाषा
बनारसीदास
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हिन्दी
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