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नेमीश्वर चौमासा
चेतनगीत
नेमीश्वर रास नेमीश्वर हिंडोलना
द्रव्यसंग्रह भाव चतुर्दशीकथा
- १५
मुनि सिंहनन्दि
सुरितनकीर्ति
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हेमराज डालूराम
हिन्दी
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१७ च शताब्दी
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२० का० १७१६
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उक्त रचनाओं के अतिरिक्त जैन हिन्दी कवियों के पर्दों का भी अच्छा संग्रह है। इनमें बूचराज, डीहल, कनककीर्ति, प्रभाचन्द्र, हुति शुभचन्द्र, मनराम एवं अजयराम के पद विशेषतः उल्लेखनीय है । संवत् १६२६ में रचित डूंगरऋषि की होलिका चौपई भी ऐसी रचना है जिसका परिचय प्रथम बार मिला है । संवत् १८३० में रचित हरचंद गंगवाल कृत पंचकल्याएक पाठ भी ऐसी ही सुन्दर रचना है ।
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संस्कृत ग्रंथों में उमास्वामि विरचित पंचपरमेष्ठी स्तोत्र महत्वपूर्ण है। सूची में उसका पाठ उद्धत किया गया है । भंडार में संग्रहीत प्राचीन प्रतियों में विमलनाथ पुराण सं= १६६६, गुणभद्राचार्य कृत धन्यकुमार चरित सं० १६५२, विदग्धमुखमंडन सं० १६-३, सारस्वत दीपिका सं० १६५७, नाममाला (धनंजय) सं. १६४३, धर्मं परीक्षा (अमितगति) सं. १६५३, समयसार नाटक (बनारसीदास) सं० १७०४ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं ।
६ शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर यशोदानन्दजी जयपुर ( ज भंडार
यह मन्दिर जैन यति यशोदानन्दजी द्वारा सं० १८४८ में बनवाया गया था और निर्माण के कुछ समय पश्चात ही यहां शास्त्र मंडार की स्थापना कर दी गई । यशोदानन्दजी स्वयं साहित्यक व्यक्ति थे इसलिये उन्होंने थोड़े समय में ही अपने यहां शास्त्रों का अच्छा संकलन कर लिया। वर्तमान में शास्त्र भंडार में ३५३ ग्रंथ एवं १३ गुटके हैं। अधिकांश ग्रंथ १८ वीं शताब्दी एवं उसके बाद की शताब्दियों के लिखे हुये हैं । संग्रह सामान्य है । उल्लेखनीय ग्रंथों में चन्द्रप्रकाश्य पंजिका सं० २५६४, पं० देवीचन्द कृत हितोपदेश की हिन्दी गय टीका हैं। प्राचीन प्रतियों में था० कुन्दकुन्द कृत समयसार सं० १६१४, शाधर कृत सागारधर्मामृत सं० १६२८, केशवमिश्रकृत तर्कभाषा सं० १६६६ के नाम ल्लेखनीय हैं। यह मन्दिर चौडा रास्ते में स्थित है ।
१० शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर विजयराम पांड्या जयपुर (झ भंडार )
विजयराम पांड्या ने यह मन्दिर कब बनवाया इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता लेकिन मन्दिर की दशा को देखते हुये यह जयपुर बसने के समय का ही बना हुआ जान पड़ता है । यह मन्दिर