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-१६पानी का दरीबा चों० रामवन्द्रजी में स्थित है। यहां का शास्त्र भंडार भी कोई ची दशा में नहीं है । बहुत से जीर्ण हो चुके हैं तथा बहुत सों के पूरे पत्र भी नहीं हैं। वर्तमान में यहां २७५ ग्रंथ एवं अह गुटके हैं। शास्त्र भंडार को देखते हुये यहां गुटकों का अच्छा संग्रह है । इनमें विश्वभूषण की नेमीश्वर की लहरी, पुण्यरत्न की नेमिनाथ पूजा, श्याम कवि की तीन चौवीसी चौपाई (र. का. २०५६ ) स्योजीराम सोगाशी की लग्नचन्द्रिका भाप के नाम उल्लेखनीय है । इन छोटी छोटी रचनाओं के अतिरिक्त रूपन्चन्द्र, दरिगह, मनराम, हर्मकीर्ति कुमुदचन्द्र आदि कवियों के पद भी संग्रहीत है साइ लोहट कृत लेश्या वेल एवं जमुराम का राजनीतिशास्त्र भाषा भी हिन्दी की उल्लेखनीय रचनायें हैं |
११ शास्त्र भंडार दि० जैन मन्दिर पाश्र्श्वनाथ जयपुर ( ब भंडार )
दि० जैन मन्दिर पार्श्वनाथ जयपुर का प्रसिद्ध जैन मन्दिर है। यह खवासजी का रास्ता ० रामचन्द्रजी में स्थित है। मन्दिर का निर्माण संवत् १८०४ में सोनी गोत्र वाले किसी श्रावक ने कराया था इसलिये यह सोनियों के मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां एक शास्त्र भंडार है जिसमें ४४० ग्रंथ एवं १८ गुटके हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या संस्कृत भाषा के ग्रंथों की है। माणिक्य सूरि कृत नलोदय काव्य भंडार की सबसे प्राचीन प्रति है जो सं० १४४५ की लिखी हुई है । यद्यपि भंडार में ग्रंथों की संख्या अधिक नहीं है किन्तु श्रज्ञात एवं महत्वपूर्ण ग्रंथों तथा प्राचीन प्रतियों का यहां अच्छा संग्रह है।
इन अज्ञान ग्रंथों में अपभ्रंश भाषा का विजयसिंह कृत अजितनाथ पुराण, कवि दामोदर कृत मिणाह चरिए, गुणनन्दि कृत वीरनन्दि के चन्द्रप्रभकाव्यकी पंजिका, (संस्कृत) महापंडित जगन्नाथ कृत नेमिनरेन्द्र स्तोत्र (संस्कृत) मुनि पद्मनन्दि कृत कमान काव्य, शुभचन्द्र कृत तत्ववर्धन (संस्कृत) चन्द्रमुनिकृत पुराणसार (संस्कृत) इन्द्रजीत कृत मुनिसुनत पुराण (हि०) आदि के नाम उल्लेखनीय है । यहां ग्रंथों की प्राचीन प्रतियां भी पर्याप्त संख्या में संग्रहीत हैं। इनमें से कुछ प्रतियों के नाम निम्न प्रकार हैं।
सूची की क. सं. ग्रंथ नाम
१५.३५
२.३५.०
१-३६
१८३६
२०६५
२३२३
११७३
पटपाहुड बद्धमानकाव्य
स्याद्वादमंजरी :
अजितनाथपुराण
रोमिणाहचरिए
यशोधर चरित्र टिप्पण
सागारधर्मामृत
ग्रंथकार नाम
आ० कुन्दकुन्द पद्मनन्दि
मल्लिपेण सूरि
विजयसिंह
दामोदर
प्रभाचन्द्र
आशाधर
ले. काल
१५१६
१५४८
१५२१
१५८०
१५८२
१५८५
१५६५
भाषा
স্ন०
संस्कृत
39
अपभ्रंश
"
संस्कृत
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