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________________ गुटका-संग्रह [ ६६ १५. खेलत है होरी मिलि साजन की टोरी हरिचन्द्र १०२ (राग काफी) १६. देखो करमा सू फुन्द रही अजरी किंवानदास १७. सखी नेमीजीसू मोहे मिलावोरी (रागहोरी) द्यानतराय १८. दुरमति दूरि खड़ी रहो री देवीदास १०५ १९. अरज सुनो म्हारो अन्तरजामी खेमबन्द २०. जिनजी की छवि सुन्दर या मेरे मन भाई x अपूर्ण १०८ ५४७४. गुटका सं०६४ । पत्र सं० ३-४७ । प्रा० ५४५ इंच । ल• काल सं० १८२१ । प्रपूर्ण । विशेष-पत्र संख्या २६ तक केशवदास कृत वैद्य मनोत्सव है। मायुर्वेद के नुसखे हैं। तेजरी, इकांतरा .. आदि के मंत्र हैं | सं० १५२१ में श्री हरलाल ने पावटा में प्रतिलिपि की थी। ५४०५. गुटका हो । पत्र I पूर्ण । नमा-सामान्य | जिनसेनाचार्य संस्कृत भूधरवास हिन्दो १. माविपुराण २. चर्चासमाधान ३. सूर्यस्तोत्र ४. सामायिफपाठ १३८ १३-१४४ Xxxx ५. मुनीश्वरों की जयमाल १४५-१४६ ६. शांतिनाथस्तोत्र १४७-१४८ कमलमलसूरि १४६-१५१ ७. जिनपंजरस्तोत्र ८. भैरवाष्टक १५१-१५६ ६. प्रकर्लकाष्टक भकलंक १०. पूजापाठ ५४७६. गुटका सं६६ 1 पत्र सं० १६० । प्रा० ३४३ इञ्च | ले. काल सं० १८५७ फागुण मुदी ८ । पूर्ण | दशा-सामान्य । धनराय संस्कृत १. विषापहार स्तोत्र २. ज्वालामालिनीस्तोत्र
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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