________________
गुटका-संग्रह ]
[ ६६५
बनारसीदास
६८-७५
५. कल्याणमन्दिरस्तोत्रमापा ६. पूजासंग्रह ७. विनतीसंबह
देवावम
१०२-१४३
५४६२. गदका सं १११ ।
०२८ 1 प्रा०६x४५ च । भाषा-संस्कृत | पूर्ण । दशा-मानान्य
संस्कृत
१. भक्तामरस्तोत्र २. लक्ष्मीस्तोत्र
मानतुगाचार्य
पचप्रमदेव
"
३. चरचा
प्राकृतहिन्दी
११-२६
विशेष-"पुस्तक भक्तामरजी की २० लिखमीचन्द रैनबाल हाला की छ। मिती चेल सुदी संवा . १६५४ का में मिली मार्फत राज श्री राठोडनो का सूपं वांम् ।" यह पुस्तक के कार उल्लेख है ।
५४६३, गुटका सं० ११२ । पत्र सं० १५ । प्रा. ६४६ च । भाषा-संवृत्त । अगा । विशेष—पूजामों का संग्रह है।
५४६४. गुटका सं० ११३ । पत्र सं० १६-२२ । प्रा०६:४५ च । अपूर्ण । दशा-मामान्य | अथ डोकरी पर राजा भोज की वार्ता लिख्यते । पत्र सं० १८-२० ।
डोकरी ने गजा भोज कह। ढोकरी हे राम राम । वीरा राम राम । ढोकरो यो मारग क. जाय छै । शेरा ई मारग परथी पाई पर परथी गई ॥१॥डोकरी मेहे बटाउ हे बटाउ | ना बीरा ये बटाऊ माहीं । बटाऊ तो संसार मांही दोय और ही दै ।। एक तो चांद पर एक सूरज || २ | डोकरो मेहे राजा हे राजा ॥ ना बोरा थे तो राजा नाही।
राजा तो संसार में दोय पीर ही । एक तो अन पर एक पारणी ।। ३॥डोकरी मेहे चौर है चोर। ना बीरा ये चोर , ना | चोर तो संसार में दीय मोर ही है। एक नेत्र चोर और एक मन चोर छै ।। ४ ।। डोकरी मेहे तो हलवा हे हलवा । ना बोरा थे तो हलबा नाहीं । हलया तो संसार में दोय और ही छ। कोई पराये घर बसत मांगिना जार उका घर में छे परिण नट जाय सो हलवो ॥५॥ोकरी नू माहा के माता हे माता । ना बीरा माला तो दोय पोर ही छ । एक तो उदर मांही सू कादे सो माता । दूसरी घाय माता॥ ६ ॥ डोकरी मेहे ते हारया हे हरया। ना बीरा थे क्या ने हारयो । हारयो तो संसार में तीन प्रोर ही छै । एक तो मारग चालतो हारयो । दूसरो बेटी जाई सो हारयों तीसरो जैकी भोडी यस्त्री होइ सो हारयो ।। ७ ।। डोकरी मेहं बापडा हे बापडा। ना चीरा थे बापडानाही । बाप तो च्यारा और है। एक तो गऊ को जायो बापडी। दूसरो छवाली को जायो वापडो । तीसरी जै की माता जनमता
ही मर गई सो बापडी। चौथा बामण वाण्या की बेटी विधवा हो जाय सो बापही॥ || डोकरी माप सिलाई