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________________ मुपका संबह [ ७६६ ३. द्वादशानुप्रेक्षा लोहट हिन्दी १७-२१ ले. काल सं० १८३१ वैशाख बुदी ८ । विशेष-१२ सवैये १२ कवित छप्पय तथा अन्त में १ दोहा इस प्रकार कूल २५ छंद हैं। मन्तिम मनुप्रेक्षा द्वादश सुनत, गयो तिमिर प्रज्ञान । २१-२४ अष्ट करम तसकर दुरे, उग्यो अनुभै भान ।। २५ ॥ इति द्वादशानुप्रेक्षा संपूर्ण । मिती मैशाख बुदी ८ संवत् १८३१ दसकत देव करण का। ४. कर्म पच्चीसी भारमल विशेष--कुल २२ पद्य हैं। अन्तिमपद्य करम मा तोर पंख महावरत धरू अपू चौवीस जिणंदा । परहंत ध्यान लैव चई साह लोयण वंदा ।। प्रकृति पच्चासी जारिश के करम पचीसी जान । सूदर भारमल.......... स्यौपुर थान ॥ कर्म प्रति० ॥ २२ ॥ ॥ इति कर्म पच्चीसी संपूर्ण । ५. पद-( बांसुरी दीजिये व्रज नारि ) सूरदास ६. पद हम तो वज को बसिबो ही तज्यो ब्रज में बसि देरिणि सूबसूरी ७. श्याम बत्तीसी श्याम विशेष-कुल ३५ पद्य हैं जिनमें ३४ सवैये तथा १ दोहा है: अन्तिम कृष्ण ध्यान चतु अष्ट में श्वनन सुनत प्रनाम । कहत स्याम कलमल कह रहत न रक्षक नाम ।। ८. पद-विन माली जो लगावै बाग मनराम कबीर ९. दोहा-फबीर औगुन एक ही गुण है लाख करोरि १० फुटकर कवित्त ११ जम्बूद्वीप सम्बन्धी पंच मेरु का वर्णन xx अपूर्ण ४१-४५
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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