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________________ [ गुटका संग्रह १२६ २६७. मसारी गिरि जाने दे मोहि नेमजीसू काम है. श्रीराम २६८, गेम ध्याहनकू पापा नेम मेहरा बंधाया विनोदीलाल २६९. धन्य तुम धन्य तुम इतित पावन २७.. चतन नाड़ी भूलिये नवल २७१. त्यारौ श्री महावीर माकदीम जानिके सयाईराम २७२. मेरी मन बस कान्हा महावीर (चायनपुरके) हर्षीति २७३ रायो सीता चल गेह छ.नतराब २७४, नहं सीताजी मुनि रामचन्द्र २७५. नछोडा हो जिनराज नाम हर्षकीसि २७५. दंत्र गुरु पहिचान बंद २७७. नमि जिनंद निश्करयां जीवराम २७८, क्य 'परदेसी को पतियारो রমজীবি छानतराय २५९. चेतन मान ले साढीतियां २८०, सांकर। मुरत मेरे मन वसी है माई ८.शाया र बुढापं बेरी मबल अथरवास २८६. सानियां या जीवनड़ा म्हारी जिनहर्ष २८३. पचे महायतबार। किशनसिंह २५४. तेरी दलिहारी हा जिनराज २८. दख्या दुनिया दिन दे काई अजब तमाशा, भूधरदास २५१. अटक नगा नदी बहैवा नवल २८.४, बला बिनदिय एरा भली चामतरीय २०८ जगतनयन नए मायक जादौ-धति ४ २८६ प्रान्दिन गदिय मानु नेमजो प्यारी अखियां राजाराम २६. हाजा इफ ध्यान संतजी का धरना हेमराज २६१ भला हो माडे सांइहो २६२. तू ब्रह्म भूलो, तू ब्रह्म भूला प्रशानो रे भारणी बनारसीदास
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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