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________________ काव्य एवं चरित्र ] [ २०५ डाल गवतालोसमो गुरुवानी-- संवत् वेद युग जारणीय मुनि शशि वर्ष उदार ।। सगुणा नर सांभलो०॥ भेदपाद माहे लिख्यो निजइ दशमि दिन सार ॥ ५ ।। सुगुण. गइ जालोरइ युग तस्यु लिखीजए अधिकार । म: विधि योगद ही मामीटर्म तिनमान ।। भाद्रव मास महिमा घणी परण करयो विचार। भविक नर सांभलो पचतालीस काले सही गाथा सातसईसार ॥ ७॥. लूकइ गच्छ लायक यती वीर सीह जे माल । गुरु झांझण श्रुत केवली थिवर गुरणे चोसाल 1॥ ८ ॥ सु. समरथपिवर महा मुनी मुंदर का उदार । लत शिष भान धरी भरण्इ सुगुरु तराई आधार मु० उछौ अधिक्यों कह्यो कपि चातुरीम किलोल। मिथ्या दःकृत ते होज्यो जिन साखइ बजसाल ।। १.॥सू० सजन जन नर नारि जे संभली लहर उल्हास । नरनारी धर्मातिमा पंडित म करो को हास ।। ११ ।। सु. दुरजन नइ न सुहायई नहीं प्राबइ कहे दाय । माखो चंदन नादरा प्रसुचितिहां चलि जाय ।। १२ ।। सु० प्यारों लागद संतनद पामर चित संतोष । बाल भली २ सेभली चित्रे थो दाल रोष ।। १२ । सु. श्री गम् नायक सेजसी जब लग प्रतपो भाग। होर मुनि मासीस घर हो ज्यो कोहि कल्याण ॥ १४ ॥ सु० सरस बाल सरसी कथा सरसो सह अधिकार । होर मुनि गुरु नाम धी पाणंद हरष उदार ।। १५ । सु० इति श्री ढाल सागरदत्त चरित्र संपूर्ण । सर्व गाथा ७१७ संवत् १७२७ वर्षे कात्तिक बुरी १ दिने सोमवासरे लिखतं श्री धन्यजो ऋषि श्री केशवजी तत् शिष्म प्रवर पंडित पूज्य ऋषि श्री ५ मामाजातदंतेवासी निकित मुनिसावलं पात्मायें । जोधपुरमध्ये । शुभं भवतु । २४३६. सिरिपामचरिय-५० तरच ! पर सं० ४७ । प्रा०६x६ इंच। भाषा-पभ्रंश । विषय-राजा श्रीपाल का भीवन वर्णन । र० काल X । ले. काल सं० १६१५ कार्तिक सुदी ६ । पूर्ण । ३० सं० ४१. अभण्डार। विशेष...-प्रन्तिम पत्र जी है। तक्षकगढ नगर के मादिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हाई की।
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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