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वरष लग्यो जा अंस में, सोह दिन चित धारि । बा दिन उतनी घडी, जु पल श्रीते लमबिचारि ॥४॥
लगन लिखे ते गिरह जी, जा घर बैठो प्राय । ता घर के मूल सुकल को कीजे मित बनाय ।।४१॥ १२ ज्ञानार्णव टीका
आचार्य शुभचन्द्र विरचित नामागोत्र संत नाम का सिद्ध मन्थो । नाभ्याय करने वालों का प्रिय होने के कारण इसकी प्रायः प्रत्येक शास्त्र भंडार में हस्तलिखित प्रतियां उपलब्ध होती हैं । इसकी एक टीका विद्यानन्दि के शिष्य श्रु तसागर द्वारा लिखी गई थी । ज्ञानार्णव की एक अन्य संस्कृत टीका जयपुर के श्र मंडार में उपलब्ध हुई है । टीकाकार है पं. नयविलास । उन्होंने उस टीका को मुगल सम्राट अकवर जलालुद्दीन के राजस्व मंत्री टोडरमल के सुत रिबिंदास के श्रवणार्थ एवं पठनाथें लिखी थी । इसका उल्लेख टीकाकार ने अन्य के प्रत्येक अध्याय के अंत में निम्न प्रकार किया है:--
इति शुभचन्द्राचार्यविरचिते ज्ञानार्णवमूलसूत्रे योगादीपाधिकारे पं. नयविलासेन साह, पासा तत्पुत्र साह टोडर तत्पुत्र साई रिषिदासेन स्मश्रवणार्थ पंडित जिनदासोयमेन काराप्तेिन द्वादशभावना प्रकरण द्वितीय · दीका के प्रारम्भ में भी टीकाकार ने निम्न प्रशस्ति लिखी है
शास्वत साहिं जलालदीनपुरतः प्राप्त प्रतिष्ठोदयः । श्रीमान् मुगलवंशशारद-शशि-विश्वोपकारोद्यतः । नाम्नां कृष्ण इति प्रसिद्धिाभवम् स्तात्रधर्मोन्नतेः । तन्मंत्रीश्चर टोडरो गुणयुतः सर्वाधिकाराधितः ।।६।। श्रीमन टोडरसाह पुत्र निपुणः सदानचितामणिः । श्रीमत् श्रीरिषिदास धर्मनिपुणः प्राप्तोन्नत्तिस्वश्रिया । तेनाह समवादि निपुणो न्यायद्यलीलाबयः ।
श्रोतुं वृत्तिमता परं सुविषया शानाणेवस्य स्फुट ।।७।। उक्त प्रशस्ति से यह जाना जा सकता है कि सम्राट अकबर के राजस्व मंत्री टोडरमल संभवतः । जैन थे। इनके पिता का नाम साह पाशा था । स्त्रयं मंत्री टोडरमल भी कवि थे और इनका एक मजन "अब तेरो मुख देखू जिनंदा" जैन भंडारों में कितने ही गुटको में मिलता है।
नबिलास की संस्कृत टीका का उल्लेख पीटर्सन ने भी किया है लेकिन उन्होंने नामोल्लेख के अतिरिक्त और कोई परिचय नहीं दिया है । पं. नयविलास का विशेष परिचय अभी खोज का विषय है। १३ मिणाह चरिए--महाकवि दामोदर.
महाकवि दामोदर कृत णेमिणाह चरिए अपभ्रंश भाषा का एक सुन्दर काव्य है। इस काव्य में पांच संधियां हैं जिनमें भगवान नेमिनाथ के जीवन का वर्णन है । महाकवि ने इसे संवत् १२८७ में समाप्त किया था जैसा निम्न दुबई छन्द ( एक प्रकार का दोहा ) में दिया हुआ है: