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मन्त्र-शास्त्र
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विशेष—प्रति सचित्र है। इसी भण्डार में १ अपूर्ण सचित्र प्रति ( वै० म० ५६३ ) और है । ३६११. प्रति सं० ३ । पत्र सं० ३५ । ले कान ? | वे० सं० ५७५ । छ भण्डार । ३६१२. प्रति सं०४। पत्र सं० २८ । ले० काल सं० १८६८ चैत बुदी । सं० २६६ । च
भण्डार।
विशेष—इसी भण्डार में १ प्रति संस्कृत टीका सहित ३० सं० २७० ) मोर है। ३६१३. प्रति सं०५ । पय सं० १३ । ले. काल x 1 ० म० १६६६ । ८ भण्डार ।
विशेष-बीजाक्षरों में कहे यंत्रों में चित्र है। पत्रविधि तथा मंत्रों सहित है। संस्कृत टीका भी है।
पत्र पर बीजाक्षरों में दोनों और दो त्रिका यन्त्र तथा विधि दी हुई है। एक निकोरप में प्राभूषण पहिने खड़े हुये
. नग्न स्त्री का चित्र है जिसमें जगह २ मशर लिखे हैं। दूसरी ओर भी ऐसा ही नग्न चित्र है। यन्त्रनिधि है। ३ से
६ब है स ४६ तक पत्र नहीं है। १-२ पत्र पर यंत्र मंत्र मुखी दी है।
३६१४. प्रति सं०६ । पत्र सं० ४७ में ५७ | ले. काल सं० १८१७ ज्येष्ठ नदी ५ । अपूर्ण । वै. सं. १६३७द भण्डार।
विशेष-सवाई जयपुर में पं० चोख चन्द के शिष्य सुखराम ने प्रतिलिपि की थी। इसी भण्डार में एक प्रति अपूर्ण ( वे० सं० १६३६ ) और है।
३६१५. भैरवपद्मावतीकल्प ....... | पत्र मं. ४० । मा० x इच । भाषा संस्कृत । विषय-मन्त्र शास्त्र । र० काल X 1 ले० काल x 1 पूर्गा | वे. रां० ५७४ । ३ भण्डार ।
३६१६. मन्त्रशास्त्र | पत्र सं० । मा० Exi इच। भाषा-हिन्दी 1 विषय-मन्त्रशास्त्र । २० काल X । ले. काल पूर्ण । ३० सं० ५३१ । ब भण्डार |
विशेष-निन्न मात्रों का संग्रह है।
१. चौकी नाहरसिंह की २. कामरण विधि ३. यंत्र ४. हनुमान मंत्र ५. टिड्डी का मन्त्र ई. पलीता भूत व चुरेल का ७, यंत्र देवदत्त का . हनुमान का यत्य ह. सर्पाकार यन्त्र तथा मन्ध १७. सर्वकाम सिद्धि यन्त्र (चारों कोनों पर प्रौरव का नाम दिया हृया है) ११. त डाकिनी का यन्त्र ।
३६१७. मन्त्रशास्त्र.....! पत्र सं. १७ मे २७ । प्रा. १३४५१ इञ्च । भाषा-संस्तृत । विषय-मन्त्र
शास्त्र । २० कालXIले कालX । अपूर्ण । वे० सं०१४। भण्डार ।
विशेष--इसी भण्डार में दो प्रतियां (दे ० ५८५, ५६६) और हैं।