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________________ J55 1 [ गुटका-संप्रद ६१४५. गुटका सं० १०२ । ०३३ ० ७७३० भाषा - हिन्दी संस्कृत ले० काल ० सं० १६७४ वे० सं० १६७५ । विशेष- बारहखडी (सुरत), नरक दोहा ( भूवर ), तत्त्वार्थ सूत्र ( उमास्वामि ) तथा फुटकर सवैया हैं । सं० २०३ | पत्र सं० १६ ॥ श्र० ५X४ इ० | भाषा संस्कृत | ले० काल X | पूर्ण । ६१४६. गुटका ० सं० १६७६ । विशेष- विषापहार, निर्वाणकाण्ड तथा भक्तामर स्तोत्र एवं परीषद् वर्शन है । ६९४७. गुटका सं० १०४ | पत्र सं० २८ | ग्रा० ६९५ इ० । भाषा हिन्दी । ले० काल X 1 पूर्ण । सं० १६७६ । विशेष-पचपरमेष्ठी सुरण, बारह भावना, बाईस परिषद, सोलहकारण भावना आदि हैं। ६१४. गुटका सं० २०५ । पत्र अपूर्ण ० सं० १६७७ | वै सं० १६७८ | विशेष – स्वरोदय के पाठ है । ६१४६. गुटका सं० १०६ । पत्र सं०३६ । श्रा० ७५३ इ० । भाषा संस्कृत । ले० काल X। पूर्ण । विशेष- बारह भावना, पंचमंगल तथा दशलक्षण पूजा हैं । ६१५०. गुटका सं० २०७ पत्र ०८ ११-४७ | ० ६४५ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल ४ | विशेष --- सम्मेद शिखर महात्म्य, निर्वाणकांड ( अपूर्ण | वे सं० १६८० 1 ६१५१. गुटका सं० १०८ । पत्र सं० २०४ | ० ७६५६० | भाषा हिन्दी । ले० काल x | विशेष - देवाब्रह्म कृत कलियुग की बीनती है। ६१५२. गुटका सं० १०६ । पत्र सं ० ६६ ॥ X। अपू० सं० १६८१ । श्र० ७x४ | भाषा - हिन्दी । ले० काल । पूर्ण वे २. हरजी के दोहा ग ) फुडकर रख एवं नेमिनाथ के दश भव हैं । आ० ६ ६ ३ ३० भाषा - हिन्दी विषय-संग्रह । ले विशेष --- १ से ४ तथा ३४ से ५२ पत्र नहीं है। निम्न पाठ हैं: -- 1 X विशेष---७६ से २१४, ४४० से ५.५१ दोहे तक हैं भागे नहीं है । हरजी रसना सो कहें, ऐसो रस न श्रर | हिन्दी | तिसना तु पीवत नहीं, फिर पीछे किहि और ६६३ ॥
SR No.090395
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal, Anupchand
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages1007
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size19 MB
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