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[ गुटका-संप्रद
६१४५. गुटका सं० १०२ । ०३३ ० ७७३० भाषा - हिन्दी संस्कृत ले० काल ० सं० १६७४
वे० सं० १६७५ ।
विशेष- बारहखडी (सुरत), नरक दोहा ( भूवर ), तत्त्वार्थ सूत्र ( उमास्वामि ) तथा फुटकर सवैया हैं । सं० २०३ | पत्र सं० १६ ॥ श्र० ५X४ इ० | भाषा संस्कृत | ले० काल X | पूर्ण ।
६१४६. गुटका
० सं० १६७६ ।
विशेष- विषापहार, निर्वाणकाण्ड तथा भक्तामर स्तोत्र एवं परीषद् वर्शन है ।
६९४७. गुटका सं० १०४ | पत्र सं० २८ | ग्रा० ६९५ इ० । भाषा हिन्दी । ले० काल X 1 पूर्ण ।
सं० १६७६ ।
विशेष-पचपरमेष्ठी सुरण, बारह भावना, बाईस परिषद, सोलहकारण भावना आदि हैं।
६१४. गुटका सं० २०५ । पत्र
अपूर्ण ० सं० १६७७ |
वै सं० १६७८ |
विशेष – स्वरोदय के पाठ है ।
६१४६. गुटका सं० १०६ । पत्र सं०३६ । श्रा० ७५३ इ० । भाषा संस्कृत । ले० काल X। पूर्ण ।
विशेष- बारह भावना, पंचमंगल तथा दशलक्षण पूजा हैं ।
६१५०. गुटका सं० २०७ पत्र ०८
११-४७ | ० ६४५ ३० । भाषा - हिन्दी । ले० काल ४ |
विशेष --- सम्मेद शिखर महात्म्य, निर्वाणकांड (
अपूर्ण | वे सं० १६८० 1
६१५१. गुटका सं० १०८ । पत्र सं० २०४ | ० ७६५६० | भाषा हिन्दी । ले० काल x |
विशेष - देवाब्रह्म कृत कलियुग की बीनती है। ६१५२. गुटका सं० १०६ । पत्र सं ० ६६ ॥ X। अपू० सं० १६८१ ।
श्र० ७x४ | भाषा - हिन्दी । ले० काल । पूर्ण वे
२. हरजी के दोहा
ग ) फुडकर रख एवं नेमिनाथ के दश भव हैं ।
आ० ६ ६ ३ ३० भाषा - हिन्दी विषय-संग्रह । ले
विशेष --- १ से ४ तथा ३४ से ५२ पत्र नहीं है। निम्न पाठ हैं:
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X विशेष---७६ से २१४, ४४० से ५.५१ दोहे तक हैं भागे नहीं है । हरजी रसना सो कहें, ऐसो रस न श्रर |
हिन्दी |
तिसना तु पीवत नहीं, फिर पीछे किहि और ६६३ ॥