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गुटका सग्रह }
I हरजी हरगी जो कहै रसना बारंबार ।
पिस तजि मन हूं क्यों न हजमन नाहि तिहि बार ॥ १६४।। २. पुरस-स्त्री संद
रामवन्द ३. फुटकर कवित्त ( शृगार रस )
४ कवित्त है। ४. दिल्ली राज्य का ब्यौरा
विशेष-बौहान राज्य तक वर्णन दिया है । ५. प्राधाशीशी के मंत्र य यन्त्र हैं।
६१५३. गुटका सं० ११० । पत्र सं०६५ | प्रा. ७४४ ६० । भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-संग्रह । | गर्म । वे० सं० १६८२॥
ले० काल
विशेष -निरिगाउ, भक्तामरस्तोत्र, तत्वार्थभूत्र, एकीभावस्तोत्र प्रादि पाठ हैं।
६.५४. पाटका सं० १११ । पत्र सं. ३८ | प्रा० ६.४४ । भाषा हिन्दी । विषय-संग्रह । ले० काल । पूर्ण | वेसं. १६५३।
विशेष—निर्वाणकाण्ड-रोग पद संग्रह-भूषरदास, जोधा, मनोहर, सेवग, पद-महेन्द्रकीति (ऐसा देव
जिनंद है सेवो भव प्रानी ) तथा चौरासी गोत्रोवति वर्णन आदि पाठ हैं।
६१५५.गुटका सं८ ११२ | पत्र सं०६१। श्रा० ५४६ इ० । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | ले. कालXI पूर्ण । ० सं० १६८४ ।
विशेष-जैनेतर स्तात्रों का संग्रह है । गुटका पेमसिंह भाटी का लिखा हुआ है।
६१५६. गटका सं.११३ | पत्र सं० १३६ | प्रा. ६x४ इ.भाषा-हिन्दी | विषय-संग्रह । ले० काल x। १८८३ । पूर्ण | वे० सं० १६८५ ।
विशेष–२० का १०००० का, १५ का २० का यंत्र, दोहै, पाश! केवली, भक्तामरस्तोत्र, पद संग्रह तथ। राजस्थानी में श्रृगार के दोहे हैं |
६४५७. गुटका सं० १११ । पत्र सं० १२३ | मा० ७xe इ. | भाषा-संस्कृत । विषय-अश्व परीक्षा। ले. काल ४।१८०४ अपान वुदी ६ । पूर्ण 4 के० सं० १६८६ ।।
विदोष-पुस्तक ठाकुर हमीरसिंह गिलवाडी बालों को है खुशालचन्द ने पाश्टा में प्रतिलिपि की थी। गुटका सजिल्द है।